मिरर मीडिया रांची : PMLA कोर्ट से रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन की मुश्किलें बढ़ गई है। दस्तावेजों में जालसाजी कर जमीन की खरीद बिक्री करने के मामले में रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। छवि रंजन 2011बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। ईडी ने कोर्ट से आग्रह किया कि छवि रंजन से और भी कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत पूछताछ जरूरी है इसलिए 10 दिनों का और रिमांड दी जाए।
बता दें कि छवि रंजन को PMLA कोर्ट ने छह दिनों के पुलिस रिमांड पर देने का आदेश दिया है। जिसकी अवधि 7 मई से 12 मई तक रहेगी। ईडी के अधिकारियों ने सेना जमीन घोटाला मामले में पूछताछ के लिए 10 दिनों की रिमांड की मांग की थी। शुक्रवार को कोर्ट में पेशी एक दौरान उन्हें सुनवाई के बाद शनिवार को दुबारा पेश होने के लिए कहा गया था, जहां उन्हें पुलिस रिमांड पर भेजने की बात सामने आ रही है।
बता दें कि जमीन घोटाले में 10 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद IAS छवि रंजन को गिरफ्तार कर लिया गया है। जमीन घोटाले में आईएएस के ख़िलाफ साक्ष्य मिले है जबकि भूमाफियाओं से मिलीभगत का भी आरोप है। वहीं जमीन के मूल दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर स्वामित्व और जमीन की प्रकृति बदलने का भी आरोप है। छवि रंजन को PMLA की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले 7 आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जा चूका है।
विदित हो कि ईडी की छानबीन में यह खुलासा हुआ कि बड़गाईं मौजा की एक जमीन के लिए छवि रंजन को रिश्वत में एक करोड़ रुपये मिले थे। ये रुपये पूर्व में गिरफ्तार अन्य आरोपितों ने प्रेम प्रकाश के माध्यम से छवि रंजन को दिया था। जिस जमीन के लिए छवि रंजन को एक करोड़ रुपये का भुगतान हुआ था, वह जमीन प्रतिबंधित थी। प्रतिबंधित सूची से बाहर करने के एवज में ही छवि रंजन को उक्त राशि का भुगतान किया गया था।
ईडी ने 24 अप्रैल को छवि रंजन का बयान लिया था। ईडी की पूछताछ में छवि रंजन ने कहा कि सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की जगतबंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को रजिस्ट्री मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है। वह प्रेम प्रकाश व अमित अग्रवाल को नहीं जानते हैं।
वहीं, उनके सामने गिरफ्तार अफसर अली, सद्दाम हुसैन ने ईडी की पूछताछ में यह स्वीकार किया कि उनकी उपस्थिति में ही छवि रंजन के कार्यालय में बड़गाईं के अंचलाधिकारी मनोज कुमार व प्रेम प्रकाश बैठे थे। वहीं पर छवि रंजन ने अंचलाधिकारी मनोज कुमार को आदेश दिया कि वे प्रदीप बागची के दावे का कोलकाता के रजिस्ट्री कार्यालय से सत्यापन कराएं।
ईडी को अनुसंधान के दौरान जानकारी मिली कि रांची के हेहल मौजा की 7.16 एकड़ जमीन पर तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन ने गैर कानूनी तरीके से कब्जा दिलाया था। फर्जी डीड के आधार पर उक्त जमीन का म्यूटेशन विनोद सिंह के नाम पर किया गया था। पता चला कि विनोद सिंह एक कथित मालिक हैं, जो जमीन दलालों के अधीन थे।
इस जमीन का म्यूटेशन होने के बाद उक्त संपत्ति श्याम सिंह व रवि सिंह भाटिया के नाम पर रजिस्टर्ड हो गई। यह जमीन 15 करोड़ 10 लाख 76 हजार रुपये में खरीदी गई थी, जबकि तब जमीन की सरकारी कीमत 29 करोड़ 88 लाख 93 हजार 800 रुपये थी। कुल 15 करोड़, 10 लाख 76 हजार रुपये में से केवल 3.45 करोड़ रुपये ही विभिन्न चेक व स्थानांतरण के माध्यम से विनोद सिंह को रजिस्ट्री के वक्त भुगतान किया गया था।

