मिरर मीडिया : अयोध्या से लेकर बाबा केदारनाथ धाम तक पूरे देश एवं विदेशों में भी दिवाली की धूम है। कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। बता दें कि इस बार दिवाली 12 नवंबर के दिन यानी आज के दिन ये त्योहार देशभर में मनाया जाता है। बता दें कि इस बार कार्तिक अमावस्या 12 नवंबर दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन 13 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट तक ही रहेगी।
इस बार अयोध्या नगरी प्रभु श्रीराम के आगमन पूरी तरह सजधज कर तैयार है। ढोल नगाड़ो के साथ राम भक्त भक्ति की सराबोर में डूबे हुए हैं। वहीं बालकांड से लेकर सुंदरकांड तक की भव्य झांकी निकाली गई। इस भव्य यात्रा में देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने इस झांकी में शामिल हुए।
इस बाबत प्रधानमंत्री ने देशवासियों को दीपावली की शुभकामनायें देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा है…..
देश के अपने सभी परिवारजनों को दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं।
Wishing everyone a Happy Diwali! May this special festival bring joy, prosperity and wonderful health to everyone’s lives.
गौरतलब है कि हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन का हिंदू शास्त्रों में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सही समय पर पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और लोगों को सोया हुआ भाग्य जाग जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस रात महालक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और सच्चे मन से पूजा करने वालों के घर स्थायी निवास करती हैं।
शास्त्रों के अनुसार दिवाली पर जो भी जातक मां लक्ष्मी से धन-संपन्नता का वरदान पाना चाहते हैं, धन की देवी उनकी प्रार्थना अवश्य स्वीकार करती हैं। ऐसे में अगर शुभ मुहूर्त में ही दिवाली पूजन किया जाए, और मां लक्ष्मी की उपासना की जाए, तो निश्चित ही मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं। जानते हैं आज 12 नवंबर दिवाली 2023 के दिन शाम को किस समय धन की देवी की पूजा करें।
बता दें कि मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए। इतना ही नहीं, मां लक्ष्मी की उस प्रतिमा की पूजा करें, जिसमें वे गुलाबी कमल के पुष्प पर बैठी हों। इतना ही नहीं, उनके हाथों से धन बरस रहा हो। दिवाली पूजन के समय मां लक्ष्मी को कमल चढ़ाना सर्वोत्तम माना गया है।