
मिरर मीडिया: त्योहार खत्म होते ही एक बार फिर शहर के तालाबों को कूड़ेदान बना दिया गया है। छठ पूजा से पूर्व युद्ध स्तर पर निगम सभी तालाबों की सफाई कर उन्हें खूब दमकाया था। यहां तक की पानी में एलम डालकर उसे स्वच्छ बनाया गया था। लेकिन पूजा खत्म होते ही इन तालाबों की सुध लेने वाला कोई नही है।
धनबाद में सफाई के बड़े – बड़े दावे करने वाले निगम के आला अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं। हाल यह है कि तालाब के चारो और बजबजाती गंदगी उससे निकलती दुर्गंध , प्लास्टिक की थैलियां, नालियों से गिरता गंदा पानी घाट पर बिखरे पड़े हैं। यह स्थिति तब है जब देश के प्रधानमंत्री तालाबों को दमकाने के लिए अमृत सरोवार योजना चला रहे हैं।
एक तरफ़ जहां शहर के बेकार बांध तालाब की पूरी तरह सफाई कर दी गई है । वहीं बाकि तालाबों को तो उनके हाल पर ही छोड़ दिया गया है। डीएस कॉलोनी स्थित लोको टैंक जिसे पंपू तालाब के नाम से भी जाना जाता है उसकी स्थिति तो ऐसी है कि अब लोग इसमें हाथ धोने से भी पहरेज कर रहे हैं । पानी से निकलता दुर्गंध लोगों को परेशान कर रहा है। वहां खड़ा होना भी दुशवार है। बाबजूद इसके न तो रेलवे और ना ही निगम की नींद खुल रही है। जबकि इस तालाब का सौन्दर्यीकरण का मामला भी अधर में लटका हुआ है 13 करोड रुपए भी आवंटित हुए हैं ।बावजूद रेलवे और निगम के बीच अब तक सहमति नहीं बनने से कार्य रुके हुए हैं ।
वहीं दूसरी तरफ शहर के जेसी मल्लिक रोड स्थिति खोखन तालाब का तो और भी बुरा हाल है । यह तालाब तो पहले से ही अतिक्रमण का शिकार है जो बचा हुआ हिस्सा है उसका भी हाल बेहाल है,चारो तरफ़ बस गंदगी ही गंदगी है।
अब जिस तरह से पूजा से पहले युद्ध स्तर पर निगम ने तालाबों की सफाई शुरू की थी । ऐसे में सफाई की राह देखती तालाबों को कब उनके पुराने स्वरुप और स्वच्छता को लेकर निगम और जिला प्रशासन पहल शुरू करती है । यह देखना होगा।