मिरर मीडिया : झारखंड में चर्चित खनन और जमीन घोटाले को लेकर जेल में बंद प्रेम प्रकाश की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ED ने विरोध किया और कई महत्वपूर्ण जानकारियां न्यायालय से साझा की।
ED ने कोर्ट को बताया कि ED के गवाह विजय हांसदा को गुमराह कर मुकरने के लिए जेल में रहते हुए प्रेम प्रकाश ने सत्ता शीर्ष पर बैठे किसी मार्फ़त से 10 लाख रुपये दिलवाये। लिहाजा इसके बाद ही ईडी का गवाह विजय हांसदा न सिर्फ रांची पीएमएलए (प्रीवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के विशेष कोर्ट के समक्ष अपने बयान से मुकर गया, बल्कि ईडी के अफसरों पर भी झूठा केस किया।
ईडी ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया है कि वर्ष 2017 में एक विभागीय सचिव ने प्रेम प्रकाश को बॉडीगार्ड उपलब्ध कराने के लिए तत्कालीन डीजीपी को पत्र लिखा था। फिलहाल वह आईएएस अधिकारी झारखंड सरकार में एक महत्वपूर्ण पद की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं। उस सीनियर आईएसएस के इशारे पर ही प्रेम प्रकाश को जेल में सुविधाएं मुहैया करायी जा रही हैं। वहीं ईडी ने कोर्ट के समक्ष एक तस्वीर भी पेश की है, जिसमें स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है कि प्रेम प्रकाश को जेल के एक अलग वार्ड में रखा गया है। जहां उसकी खिदमत के लिए 3 अन्य बंदी लगाए गए हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों ईडी ने जब जेल में छापेमारी की थी, तो उस दौरान प्रेम प्रकाश के वार्ड नंबर 11 का जो सीसीटीवी फुटेज मिला उसमें यह दिखाई दे रहा है कि प्रेम प्रकाश घंटों जेल के बाहर के लोगों से न सिर्फ मुलाकात करता है, बल्कि खुलेआम जेल में मोबाइल का भी इस्तेमाल करता है।
ज्ञात रहें कि प्रेम प्रकाश जेल के अधिकारियों के साथ मिलकर ईडी के अधिकारियों पर एक महिला से केस करवाने का भी षड्यंत्र रच चुका है और जेल में बंद अपराधियों और उग्रवादियों से ईडी अधिकारियों पर हमले कराने की भी योजना बना रहा था।