झारखण्ड: हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर झारखंड की राजनीति में उथल –पुथल का दौर प्रारंभ हो गया है।
झामुमो विधायक दल के नए नेता चंपई सोरेन पार्टी की विरासत को किस तरह समेट पाएंगे, यह बड़ा सवाल है। हेमंत सोरेन ने लंबे राजनीतिक जीवन में अपने पिता और झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन की जगह बनाई थी। लेकिन, अब जब उनका इस्तीफा हो गया है और परिवार से बाहर का व्यक्ति मुख्यमंत्री बनने के लिए चयनित किया गया है, तो विधायकों की एकजुटता पर भी सवाल होना उचित है।
इसी बीच ऐसी खबरे आ रही है की राज्यपाल के फैसले से पहले जेएमएम के सभी विधायको को किसी अन्य जगह ले जाया जा रहा है।
वहीं,हेमंत सोरेन की भाभी और जामा से विधायक सीता सोरेन हाल ही में अपनी महत्वाकांक्षा बता चुकी हैं। उनके पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन की कार्यकर्ताओं के साथ मजबूत साझेदारी रही थी। बोरियो से झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी हेमंत सोरेन के रहते ही उनके खिलाफ मुखर थे।
हेमंत की गैर मौजूदगी में उन्हें संभालना भी मुश्किल होगा। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन अब स्वास्थ्य कारणों से ज्यादा सक्रिय नहीं रहते हैं। हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन भी दुमका से विधायक हैं। उनके आसपास भी झामुमो कार्यकर्ताओं का जमावड़ा रहता है। ऐसे में पार्टी में कुछ नए शक्ति केंद्र भी उभर सकते हैं। चंपई सोरेन के लिए हेमंत की अनुपस्थिति में इन तमाम मामलों पर काम करना चुनौतीपूर्ण रहेगा।
वही कांग्रेस के विधायकों की खेमेबंदी जगजाहिर है। फिलहाल सभी विधायक एकजुट हैं, लेकिन यह एकजुटता कबतक कायम रहेगी, कहना मुश्किल है। पूर्व में कांग्रेस के विधायकों में आपस में ही इसे लेकर विवाद हो चुका है। तीन विधायकों पर प्राथमिकी भी अपनी ही पार्टी के लोग दर्ज करा चुके हैं।