Indian Railway: रेलवे ने लोको पायलटों को दिया बड़ा तोहफा: ड्यूटी और आराम के घंटो में किये बड़े बदलाव, पढ़ें पूरी खबर

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मिरर मीडिया, डिजिटल डेस्क : Indian Railway भारतीय रेलवे में लोको पायलट यात्री और माल यातायात को सुरक्षित और कुशल तरीके से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय रेलवे लोको पायलटों के कार्य के लिए उचित परिस्थितियाँ सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

लोको पायलटों को कान्टीन्यूअस श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 132 (2) के अंतर्गत कान्टीन्यूअस श्रेणी के तहत काम करने वाले कर्मचारियों के लिए चैदह दिनों की दो-साप्ताहिक अवधि में औसतन 54 घंटे की ड्यूटी घंटे निर्धारित है। ‘काम के घंटे और आराम की अवधि‘ (एचओईआर), 2005 का नियम 8 के अंतर्गत लोको पायलटों के लिए प्रति सप्ताह चैदह दिनों की दो-साप्ताहिक अवधि में औसतन 52 घंटे की ड्यूटी के दिशानिर्देश देता है। इसके अतिरिक्त, लोको पायलटों को अतिरिक्त काम के घंटों के लिए मुआवजा भी दिया जाता है।

लोको पायलटों के लिए विश्राम की व्यवस्थाएं:

मुख्यालय विश्राम: रनिंग स्टाफ को अपने मुख्यालय पहुंचने के बाद 16 घंटे का मुख्यालय विश्राम और 30 घंटे या 22 घंटे का आवधिक विश्राम (जब भी देय हो) प्रदान किया जाता है।

आउट स्टेशन विश्राम: वाह्य यात्रा पूरी करने के बाद ड्यूटी के घंटों के अनुसार विश्राम दिया जाता है।

आवधिक विश्राम: रनिंग स्टाफ को हर महीने कम से कम पांच अवधियों का आराम दिया जाता है, जिनमें से प्रत्येक में बाईस घंटे से कम नहीं होगा, या कम से कम चार अवधियों का आराम जो पूरी रात सहित लगातार तीस घंटे से कम नहीं होंगे।

हाई पावर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर, 2016 में लोको पायलटों के ड्यूटी घंटे कम कर दिए गए थे। इन सिफारिशों के अनुसार, 10 घंटे की साइन ऑन से साइन ऑफ ड्यूटी को घटाकर 9 घंटे कर दिया गया था और 10+2 घंटे की ड्यूटी को भी घटाकर 9+2 घंटे कर दिया गया था।

रनिंग रूम की सुविधाएं:

भारतीय रेल पर सभी 558 रनिंग रूम वातानुकूलित किए गए हैं। रनिंग स्टाफ को योग और ध्यान कक्ष, वाचनालय के साथ समाचार पत्र और पत्रिकाएँ भी प्रदान की जाती हैं। फुट मसाजर आदि उपलब्ध कराए जाते हैं और रियायती भोजन का प्रावधान किया गया है। साथ ही आरओ वाटर फिल्टर की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है।

तकनीकी सहायतालोको पायलटों को सतर्क करने के लिए विजिलेंस कन्ट्रोल डिवाइस (वीसीडी) और जीपीएस आधारित फॉग सेफ डिवाइस (एफएसडी) लगाये गये हैं। लोको पायलटों के ड्राइविंग कौशल और प्रतिक्रिया समय में सुधार के लिए सिम्युलेटर आधारित प्रशिक्षण पर जोर दिया जा रहा है। ‘चालक दल’ नामक मोबाइल एप्लिकेशन भी विकसित किया गया है।

सतर्कता और सुरक्षा जागरूकता के लिए विभिन्न सुरक्षा अभियान और विशेष परामर्श कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं। रनिंग स्टाफ के परिवार के सदस्यों के साथ काउन्सलिंग के लिए विशेष सुरक्षा सेमिनार और बैठकें भी आयोजित की जाती हैं।

यह जानकारी रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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