डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: झारखंड के संताल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ पर रोकथाम लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट की एक्टिंग चीफ जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस एके राय की खंडपीठ में सुनवाई हुई। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
राज्य सरकार का पक्ष, केंद्र के आंकड़ों पर उठाए सवाल
राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने अपने शपथ पत्र में झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का कोई स्पष्ट आंकड़ा प्रस्तुत नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस तरह का एक मामला लंबित है, जो इस मुद्दे पर व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत कर सकता है।
सिब्बल ने यह भी जोड़ा कि राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इस याचिका को राजनीतिक एजेंडा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उनका आरोप था कि भाजपा इसे मुद्दा बनाकर राजनीति कर रही है, जिससे यह याचिका राजनीति से प्रेरित प्रतीत होती है।
अदालत की प्रतिक्रिया, जांच समिति बनाने पर विचार
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाती है, तो इसमें क्या दिक्कत हो सकती है? अदालत ने यह सुझाव दिया कि इससे मामले की गंभीरता का उचित आकलन हो सकेगा और किसी भी पक्षपाती निर्णय से बचा जा सकेगा।
केंद्र सरकार का पक्ष, घुसपैठ की स्थिति पर चिंता
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि केंद्र द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, संताल परगना में आदिवासियों की आबादी में कमी आई है। मेहता ने कहा कि 30 सितंबर तक केंद्र सरकार के गृह सचिव और झारखंड के मुख्य सचिव की एक बैठक प्रस्तावित है, जिसमें घुसपैठियों से निपटने के लिए संयुक्त फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी बनाने पर विचार किया जाएगा।
इस कमेटी का उद्देश्य झारखंड के सीमावर्ती जिलों—देवघर, गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़, दुमका और जामताड़ा में अवैध घुसपैठियों की पहचान करना और उन्हें वापस भेजने की व्यवस्था करना होगा।
घुसपैठ की याचिका में गंभीर आरोप
यह जनहित याचिका दानियल दानिश द्वारा दाखिल की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि संताल परगना में आदिवासियों की आबादी 42% से घटकर 28% रह गई है। याचिका में दावा किया गया है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए स्थानीय आदिवासी महिलाओं से शादी कर जमीन पर कब्जा कर रहे हैं और इन इलाकों में बड़े पैमाने पर मदरसों का निर्माण हुआ है।
साल 2011 तक पाकुड़ और साहेबगंज जिलों में मुस्लिम आबादी लगभग 35% तक बढ़ गई थी, जबकि संताल परगना के पूरे क्षेत्र में यह वृद्धि 13% तक दर्ज की गई थी। याचिका में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण आदिवासी समुदाय के अधिकार और जमीन दोनों खतरे में हैं।
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