धनबाद और आसपास के इलाकों में जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेइ) के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। हाल ही में जामताड़ा की रहने वाली सात वर्षीय बच्ची वृष्टि कुमारी में इस घातक बीमारी की पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुष्टि की गई यह क्षेत्र का तीसरा मामला है। इससे पहले, टुंडी के पिंटू बेसरा और दुमका की शिवानी कुमारी में भी इस बीमारी की पहचान की जा चुकी है।
पांच बच्चों के सैंपल रांची के रिम्स अस्पताल में भेजा गया जांच के लिए
धनबाद जिले के स्वास्थ्य विभाग ने संभावित रूप से संक्रमित पांच बच्चों के सैंपल रांची के रिम्स अस्पताल में जांच के लिए भेजे थे। इनमें से पहले दो मामलों में पिंटू बेसरा और शिवानी कुमारी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। शनिवार को रिम्स ने बाकी तीन सैंपलों की जांच रिपोर्ट जारी की, जिसमें जामताड़ा की वृष्टि कुमारी का नाम शामिल था। वृष्टि की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिससे यह पुष्टि हो गई कि वह भी जापानी इंसेफ्लाइटिस से पीड़ित है।
इसके साथ ही, टुंडी के छतनी पहाड़ी निवासी सात वर्षीय बच्ची प्रतिमा को भी जेइ के लक्षणों के आधार पर जांच के लिए SNMMCH (शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल) में भर्ती कराया गया था। हालांकि, उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है, जिससे उसे राहत मिली।
जइ एलाइजा किट से जांच में तेजी
धनबाद में शनिवार को जापानी इंसेफ्लाइटिस की जांच के लिए ‘जइ एलाइजा किट’ उपलब्ध हो गई है। इस किट को जिला स्वास्थ्य विभाग ने एसएनएमएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग को सौंप दिया है। इससे अब स्थानीय स्तर पर ही जेइ की जांच की जा सकेगी, और सैंपलों को रांची के रिम्स भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी। किट की उपलब्धता से समय पर जांच और उपचार संभव हो सकेगा, जिससे इस घातक बीमारी के फैलाव पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
सावधानी और जागरूकता जरूरी
जापानी इंसेफ्लाइटिस एक गंभीर वायरल बीमारी है, जो मच्छरों के माध्यम से फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन में अकड़न, और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं शामिल होती हैं। इसके प्रकोप को देखते हुए, स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से मच्छरों से बचाव के उपाय करने और जागरूक रहने की अपील की है। स्थानीय प्रशासन भी प्रभावित क्षेत्रों में फॉगिंग और सफाई के काम में जुटा है, ताकि मच्छरों के प्रजनन को रोका जा सके।
धनबाद क्षेत्र में इस समय स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन पूरी तरह सतर्क है, और बीमारी की रोकथाम के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।