डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया:हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस की ‘एकला चलो’ नीति ने इस बार काम नहीं किया, जिससे विपक्षी आई.एन.डी.आई. गठबंधन की पार्टियों ने लगातार कांग्रेस पर निशाना साधा है। इन पार्टियों के नेताओं ने खुलकर कांग्रेस के नेतृत्व और उनकी रणनीति की आलोचना की है।
शिवसेना ने की तीखी आलोचना
शिवसेना (यूबीट) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के माध्यम से कांग्रेस पर जमकर हमला किया। संपादकीय में कहा गया, “महाराष्ट्र कांग्रेस को हरियाणा के नतीजों से सीख लेने की जरूरत है।” शिवसेना ने यह भी कहा कि कांग्रेस को यह पता है कि जीत को हार में कैसे बदला जाता है। उनका तर्क था कि कांग्रेस ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी या अन्य दलों से गठबंधन नहीं किया, जिसके चलते उसे हार का सामना करना पड़ा। इसके विपरीत, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के गठबंधन से जीत मिली, जिससे यह स्पष्ट होता है कि रणनीतिक साझेदारी की कमी से हरियाणा में नुकसान हुआ।
सीपीआई का भी कांग्रेस पर हमला
सीपीआई नेता डी राजा ने भी इस मामले में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “आइ.एन.डी.आई. गठबंधन ने एक साथ चुनाव नहीं लड़ा, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ।” उन्होंने यह भी बताया कि अगर सभी दल एकजुट रहते तो बीजेपी की सरकार नहीं बनती। राजा ने कांग्रेस को गंभीरता से विचार करने की सलाह दी है।
आम आदमी पार्टी की टिप्पणी
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी कांग्रेस की रणनीति को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “हरियाणा के लोग बीजेपी को हराना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस में एकजुटता की कमी रह गई।” सिसोदिया ने कांग्रेस को आत्ममंथन करने की सलाह दी, ताकि भविष्य में ऐसे परिणामों से बचा जा सके।
चुनाव परिणामों का संक्षिप्त विश्लेषण
हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 48 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस सिर्फ 37 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। यह परिणाम कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है और यह दर्शाता है कि पार्टी को अपनी रणनीति में गंभीर बदलाव की आवश्यकता है।
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