डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की राजनीतिक स्थिति अब उनकी कुर्सी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। हाल ही में हुई एक बैठक में लिबरल पार्टी के असंतुष्ट सांसदों ने ट्रूडो से इस्तीफे की मांग की, जो पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष को दर्शाता है।
लिबरल पार्टी में विद्रोह की लहर
23 अक्टूबर को कनाडा में आयोजित लिबरल पार्टी की सांसदों की बैठक के दौरान, असंतुष्ट सांसदों ने ट्रूडो को अपनी शिकायतें सुनाईं। यह बैठक हाउस ऑफ कॉमन्स के सत्र के दौरान साप्ताहिक कॉकस मीटिंग का हिस्सा थी, जहां सांसदों को अपनी चिंताओं को सीधे प्रधानमंत्री के समक्ष रखने का अवसर मिला।
असंतोष के कारण
ट्रूडो की सरकार ने पिछले कुछ महीनों में भारत के खिलाफ एक अभियान चलाया है, जिसमें भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाना और भारत के खिलाफ लगातार बयानबाजी शामिल है। अब, उनकी खुद की पार्टी के सांसद उन पर चुनावी नुकसान का आरोप लगा रहे हैं। सांसदों का मानना है कि यदि ट्रूडो के नाम पर चुनाव लड़ा गया, तो यह पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित होगा।
अल्टीमेटम और दबाव
असंतुष्ट सांसदों ने ट्रूडो को 28 अक्टूबर तक अपने भविष्य पर फैसला करने का अल्टीमेटम दिया है। बैठक के दौरान, ट्रूडो के इस्तीफे के समर्थन में एक दस्तावेज पेश किया गया, जिसमें लिबरल पार्टी के पुनरुत्थान की संभावनाओं का उल्लेख किया गया था।
सांसदों की चिंताएं
बैठक के दौरान, ब्रिटिश कोलंबिया के सांसद पैट्रिक वीलर ने एक दस्तावेज पेश किया, जिसमें ट्रूडो के इस्तीफे के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किया गया। कुछ सांसदों ने ट्रूडो का समर्थन भी किया, लेकिन अधिकांश सांसदों ने उन्हें पद छोड़ने का आग्रह किया। इमीग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने असंतुष्ट सांसदों की चिंताओं को स्वीकार करते हुए उनकी बातों का सम्मान किया है।
भारत-कनाडा संबंधों पर प्रभाव
यह राजनीतिक दरार वास्तव में भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव का परिणाम है। ट्रूडो के द्वारा पिछले साल लगाए गए आरोपों के बाद, जब उन्होंने कहा कि निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, तब से दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो गए हैं। भारत ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए इन्हें “बेतुका” और “प्रेरित” करार दिया है।
निज्जर को 2020 में भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था और पिछले साल जून में सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी हत्या कर दी गई थी।
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