देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। उनके बाद जस्टिस संजीव खन्ना मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे। अपने कार्यकाल के आखिरी पांच दिनों में सीजेआई चंद्रचूड़ देश के कई अहम और संवेदनशील मामलों पर फैसले सुनाने की तैयारी कर रहे हैं, जिनके परिणामस्वरूप राजनीति, समाज, और व्यक्तिगत अधिकारों पर व्यापक असर देखने को मिल सकता है। आइए जानते हैं उन महत्वपूर्ण मामलों के बारे में, जिनका फैसला आने वाला है:
मदरसा कानून की वैधता पर फैसला
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ उत्तर प्रदेश के मदरसा कानून की वैधता पर जल्द ही फैसला सुनाएगी। यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती से जुड़ा है, जिसमें अदालत ने यूपी के मदरसा अधिनियम को असंवैधानिक घोषित किया था और मदरसों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में समायोजित करने का आदेश दिया था। इस फैसले का शिक्षा के क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा
क्या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलना चाहिए? यह सवाल काफी समय से न्यायालय में लंबित है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर जल्द ही अपना निर्णय सुनाएगी। इस फैसले से देश में शैक्षिक संस्थानों के अल्पसंख्यक दर्जे की परिभाषा और अधिकारों पर बड़ा असर पड़ सकता है।
संपत्ति अधिग्रहण और पुनर्वितरण का अधिकार
एक अन्य महत्वपूर्ण मामला संपत्ति अधिग्रहण और उनके पुनर्वितरण से संबंधित है। नौ जजों की संविधान पीठ इस मामले पर विचार कर रही है और जल्द ही फैसला सुरक्षित रखने के बाद अब इसपर निर्णय की घोषणा करेगी। यह फैसला देश में निजी संपत्ति के अधिकारों और सरकारी अधिग्रहण नीतियों को एक नया आयाम दे सकता है।
भर्ती प्रक्रिया में नियमों में बदलाव का अधिकार
क्या सरकारी भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद उसमें नियमों और शर्तों में बदलाव किया जा सकता है? इस कानूनी सवाल पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संविधान पीठ फैसला सुनाने वाली है। यह मामला युवाओं और नौकरीपेशा वर्ग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका असर सरकारी नौकरियों और उनकी नीतियों पर पड़ेगा।
लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) लाइसेंस धारकों के अधिकार
लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) लाइसेंस धारकों को 7,500 किलोग्राम तक वजन वाले वाहन चलाने का अधिकार है या नहीं, इसपर भी सुप्रीम कोर्ट फैसला देने वाली है। इससे व्यावसायिक वाहन चालकों के अधिकारों में परिवर्तन आ सकता है और इस फैसले का सड़क परिवहन क्षेत्र पर भी प्रभाव पड़ेगा।
ये सभी फैसले आने वाले समय में भारतीय कानून और समाज के विभिन्न पहलुओं को नई दिशा दे सकते हैं। न्यायालय के इन निर्णयों से न केवल राजनीति बल्कि समाज, शिक्षा और व्यक्तिगत अधिकारों पर भी असर पड़ेगा।