धनबाद के जिम्स अस्पताल में शुक्रवार को एक 62 वर्षीय मरीज फटीक बनर्जी की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। मृतक के पुत्र अमिताभ बनर्जी, जो तेलीपाड़ा श्मशान रोड के निवासी हैं, ने आरोप लगाया कि उनके पिता को 31 अक्तूबर को घर में गिरने के बाद बांया हाथ टूट गया था, जिसके इलाज के लिए उन्हें छह नवंबर की शाम जिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
शुक्रवार को चिकित्सकों ने उनके पिता का ऑपरेशन किया, लेकिन शाम के समय अचानक अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों ने अमिताभ को सूचित किया कि उनके पिता की तबीयत अचानक बिगड़ गई है और उन्हें किसी दूसरे अस्पताल ले जाने का दबाव बनाया। जब अमिताभ ने अपने पिता की स्थिति के बारे में पूछा, तो अस्पताल कर्मियों ने कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया। परेशान होकर वह ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में जबरन गए, जहाँ उन्होंने पाया कि उनके पिता की मौत हो चुकी थी।
अमिताभ ने तुरंत इस घटना की सूचना परिवार के अन्य सदस्यों को दी, जिसके बाद परिजन अस्पताल पहुँच गए और हंगामा करने लगे। इस दौरान अस्पताल के संचालक डॉ. प्रकाश सिंह के बड़े पुत्र और अन्य कर्मचारियों के साथ परिजनों की मारपीट भी हुई। हो-हल्ला सुनकर वह स्थिति देखने गए, जहां मृतक के परिजनों ने उनके साथ हाथापाई की। घटना के बाद सरायढेला पुलिस ने मौके पर पहुँचकर स्थिति को शांत किया।
देर रात तक थाना में दोनों पक्षों के बीच हुई समझौता
मामले की गंभीरता को देखते हुए परिजनों ने सरायढेला थाना में चिकित्सक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। अस्पताल प्रबंधन से इस बारे में संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने किसी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। हालांकि देर रात तक सराय ढेला थाना में दोनों पक्षों के बीच समझाता हुआ और 7 लाख रुपए मुआवजा देने पर सहमति बनी इसके बाद परिजन शांत हुए और लिखित शिकायत वापस ली गई
उठ रहे सवाल ,होगी जांच या फाइलों में रह जाएगी सिमट के
मरीज की मौत पर कई तरह का सवाल खड़े हो गए हैं जब हाथ का ऑपरेशन के लिए मरीज को ले जाया गया तो फिर उसकी मौत कैसे हो गई ? ऑपरेशन से पूर्व किसी अनुभवी चिकित्सक ने दिए थे परामर्श? अनुभवी चिकित्सक के द्वारा दी गई थी एनेस्थीसिया ? यह सारे सवालों के जवाब अभी अनसुलझे हैं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद सिविल सर्जन को पूरे मामले पर जांच कमेटी गठित कर जांच करने की जरूरत है तभी पूरे मामले से पटाक्षेप हो पाएगा
बताया जा रहा है कि मरीज का हाथ टूटने पर उन्हें एडमिट कराया गया था और ऑपरेशन थिएटर तक वह चलकर गया था जिसके बाद उसकी मौत हो गई। हालांकि ऐसी बाते भी सामने आ रही है कि एनेस्थीसिया का ओवरडोज के कारण ऐसी हालत हुई है फिलहाल यह जाँच का विषय है। वही मृतक की बेटी मौसमी चटर्जी का कहना है कि उनके पिता को ऑपरेशन के लिए ओटी तक अपने पैरों से चलते हुए ले जाया गया था और उनकी सेहत पहले से बिल्कुल ठीक थी। मौसमी ने इस मौत के लिए डॉक्टर की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि अगर उचित इलाज किया गया होता, तो उनके पिता आज जीवित होते।
लगातार निजी अस्पतालों मैं चिकित्सीय लापरवाही के उठते हैं मामले
गौरतलब है कि धनबाद के विभिन्न अस्पतालो से आए दिन ऐसी घटना सामने आती रही है जहाँ अस्पताल में मरीजों की मौत के बाद डॉक्टर्स की लापरवाही का आरोप परिजनों द्वारा लगाया जाता रहा है ऐसे में सवाल तो उठना जायज है साथ ही ऐसे गंभीर मामले में परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों पर अस्पताल प्रबंधन को भी गंभीरता से जाँच करनी चाहिए। सिविल सर्जन द्वारा नियमित ऐसे अस्पतालों की जांच करने की जरूरत है जो बिना रजिस्ट्रेशन के शहर में संचालित है और वहां झोलाछाप डॉक्टर द्वारा मरीज का इलाज किया जाता है