तमिलनाडु में सर्पदंश ‘अधिसूचित बीमारी’ घोषित, अस्पतालों को रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी

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डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: तमिलनाडु में इस साल सर्पदंश के सात हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें कई लोगों की मौत हो गई। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने एक अहम निर्णय लिया है। तमिलनाडु सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम के तहत सर्पदंश को एक ‘अधिसूचित बीमारी’ घोषित कर दिया है।

सर्पदंश के मामलों के आंकड़ों का होगा सही संग्रह

इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य सांप के काटने से होने वाली मौतों को रोकने के लिए डेटा संग्रह, नैदानिक बुनियादी ढांचे में सुधार और एंटी वैनम का आवंटन करना है। अब अस्पतालों को सर्पदंश के मामलों के आंकड़े राज्य सरकार को रिपोर्ट करने होंगे, ताकि बेहतर योजना बनाई जा सके और इलाज के लिए आवश्यक एंटी-वेनम की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।

पिछले वर्षों के आंकड़े और चिंता की बात

इस साल जून तक तमिलनाडु में सर्पदंश के 7,300 मामले सामने आए हैं, जिनमें 13 लोगों की मौत हो गई। पिछले साल सर्पदंश से 43 मौतें हुई थीं और 19,795 मामले दर्ज किए गए थे। 2022 में भी सर्पदंश के 15,120 मामले सामने आए थे, जिनमें 17 मौतें हुई थीं। अधिकारियों का कहना है कि अस्पतालों में सभी मामलों की सूचना नहीं दी जाती, जिसके कारण डेटा संग्रह में अंतर आता है। हालांकि, मौतों के मामलों में डेटा अधिक सटीक है।

डब्ल्यूएचओ की वैश्विक रणनीति और भारत की राष्ट्रीय योजना

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सर्पदंश से होने वाली मौतों और विकलांगताओं को नियंत्रित करने के लिए एक वैश्विक रणनीति शुरू की है। भारत सरकार की राष्ट्रीय कार्य योजना का लक्ष्य वन हेल्थ दृष्टिकोण के तहत 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों को आधा करना है।

सुप्रीम कोर्ट का दिव्यांगों के लिए नई सुविधाओं पर निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर दिव्यांगों के लिए अनिवार्य सुविधाएं विकसित करने का निर्देश दिया है। इसका उद्देश्य दिव्यांगों के लिए सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच को आसान बनाना है। अदालत ने 15 दिसंबर, 2017 को दिए गए निर्देशों के बाद इस मामले में धीमी प्रगति पर चिंता व्यक्त की थी।

दिव्यांगों के लिए नए बुनियादी ढांचे का निर्माण

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मौजूदा बुनियादी ढांचे को दिव्यांगों के अनुकूल बनाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी नए निर्माण दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक हों। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन नए नियमों को कानूनी रूप से लागू किया जाएगा और उनके पालन न करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।

एनएएलएसएआर यूनिवर्सिटी को जिम्मेदारी

हैदराबाद में एनएएलएसएआर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के दिव्यांगता अध्ययन केंद्र को इन नए मानकों को विकसित करने में सरकार की मदद करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस कदम से दिव्यांगों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर बेहतर पहुंच सुनिश्चित की जा सकेगी।

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