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नवजात की मौत का जिम्मेवार कौन : सुरक्षा मानकों की अनदेखी या कुछ और? आखिर किसकी लापरवाही से अस्पताल में घट जाती हैं ऐसी घटनाएं

उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई। यह हादसा अस्पताल के शिशु वार्ड (एसएनसीयू) में हुआ, जहां 10 नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई और 16 बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए। ये बच्चे फिलहाल इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हैं। हादसे के दौरान पहले वार्ड में धुआं देखा गया, और जल्द ही आग ने पूरे शिशु वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी खामियां उजागर कर दी हैं।

घटना की वजह और बचाव में देरी

अस्पताल में लगी आग के बावजूद सेफ्टी अलार्म नहीं बजा, जिससे बचाव कार्य शुरू होने में देरी हुई। परिजनों ने आरोप लगाया कि यदि समय पर सेफ्टी अलार्म काम करता, तो इस भयावह घटना को रोका जा सकता था।

शिशु वार्ड का सिर्फ एक गेट था, लेकिन वहां आग की लपटें उठ रही थीं, जिसके चलते अंदर फंसे बच्चों को बाहर निकालना मुश्किल हो गया।

घटना के करीब आधे घंटे बाद राहत कार्य शुरू हुआ, जिससे नुकसान और बढ़ गया।

झांसी के डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि जो बच्चे बाहर की ओर थे, उन्हें बचा लिया गया, लेकिन अंदर फंसे बच्चों को नहीं निकाला जा सका।

भगदड़ में बच्चों की अदला-बदली

घटना के दौरान मची भगदड़ में कई बच्चे बदल गए। जिस मां-बाप का बेटा था, उनके हाथ बेटी लगी और जिनके पास बेटी थी, उन्हें बेटा मिला। इससे परिजनों की परेशानी और बढ़ गई।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा,

“झांसी के मेडिकल कॉलेज में आग लगने से हुआ हादसा मन को व्यथित करने वाला है। ईश्वर से प्रार्थना है कि शोकाकुल परिजनों को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। राज्य प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा है।”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने झांसी के मंडलायुक्त और डीआईजी से 12 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट देने को कहा है।

अस्पताल प्रशासन पर सवाल

इस हादसे के बाद अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आई है।

सुरक्षा अलार्म की जांच नहीं की गई थी।

वार्ड में पर्याप्त फायर सेफ्टी उपकरण उपलब्ध नहीं थे।

मरीजों और परिजनों के लिए सुरक्षा उपायों की कमी थी।

परिजनों ने मांग की है कि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्थाओं की समय-समय पर जांच होनी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

विपक्ष का विरोध और संवेदनाएं

घटना के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने भी शोक व्यक्त किया और इसे प्रशासनिक लापरवाही करार दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

KK Sagar
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