डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक बदरीनाथ धाम के कपाट आज, 17 नवंबर, रविवार रात 9 बजकर 7 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इससे पहले गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट बंद हो चुके हैं। इस वर्ष अब तक 14 लाख 20 हजार से अधिक श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर चुके हैं।
पंच पूजाओं से हुई कपाट बंद होने की शुरुआत
बदरीनाथ धाम में कपाट बंद करने की प्रक्रिया 13 नवंबर से शुरू हुई। पंच पूजाओं के तहत:
- 13 नवंबर: गणेश जी की पूजा अर्चना के बाद गणेश मंदिर के कपाट बंद किए गए।
- 14 नवंबर: आदिकेदारेश्वर मंदिर और शंकराचार्य मंदिर के कपाट विधि-विधान से बंद हुए।
- 15 नवंबर: खड़क पुस्तक पूजन के साथ वेद ऋचाओं का वाचन समाप्त किया गया।
- 16 नवंबर: मां लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित किया गया।
- 17 नवंबर: आज भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद किए जाएंगे।
स्त्री भेष में माता लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान करेंगे रावल
बदरीनाथ धाम की परंपरा के अनुसार, कपाट बंद होने के दौरान रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री भेष धारण कर माता लक्ष्मी को श्री बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करेंगे। मान्यता है कि शीतकाल में मुख्य अर्चक नारद जी धाम में पूजा-अर्चना करते हैं।
रंग-बिरंगे फूलों से सजा मंदिर
कपाट बंद होने के इस विशेष अवसर पर मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है। बीकेटीसी के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि पंच पूजाओं के साथ सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल और वेदपाठी रविंद्र भट्ट के नेतृत्व में कपाट बंद होने की प्रक्रिया को विधिवत संपन्न किया जाएगा।
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