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आदिवासी सीटों पर भाजपा के दिग्गज नाकाम, करारी हार पर 30 नवंबर को प्रदेश स्तरीय समीक्षा बैठक

डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: एक समय झारखंड में आदिवासी वोटरों पर भाजपा की गहरी पकड़ थी। पार्टी के पास कड़िया मुंडा जैसे प्रभावशाली आदिवासी नेता थे, जिनके रहते शिबू सोरेन जैसे दिग्गज नेता भी संघर्ष करते दिखते थे। लेकिन आज हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। विधानसभा चुनाव में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।

नेतृत्व की कमजोरी और संगठन की अनदेखी

पार्टी की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण नेतृत्व और संगठन की कमजोरियां बताई जा रही हैं। बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के डेढ़ साल बाद भी उन्होंने नई प्रदेश कमेटी नहीं बनाई। संगठन पूर्व अध्यक्ष दीपक प्रकाश की कमेटी के सहारे चलता रहा, जिसमें 90 प्रतिशत सदस्य रांची और उसके आसपास के क्षेत्र से थे। जिलों का समान प्रतिनिधित्व न होना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ।

आंतरिक मतभेद और बाहरी हस्तक्षेप

पार्टी के भीतर मतभेद और बाहरी नेताओं का हस्तक्षेप भी हार का बड़ा कारण बना। प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह, बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश को संगठन की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार ठहराया, लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया।

मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की भूमिका पर सवाल

मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार बाबूलाल मरांडी ने आदिवासी सीट से चुनाव लड़ने का साहस नहीं दिखाया। उन्होंने सामान्य सीट से चुनाव लड़ने का विकल्प चुना। अर्जुन मुंडा, जो तीन बार मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, खुद अपनी सीट हारने के बाद भी पार्टी के प्रदर्शन को बेहतर नहीं बना सके। उन्होंने अपनी पत्नी को टिकट दिलाया, लेकिन वह भी चुनाव हार गईं।

आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा का घटता प्रदर्शन

झारखंड की 28 आदिवासी आरक्षित सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन लगातार गिरता गया है।

वर्षजीती गई सीटें
200014
200509
200908
201411
201902
202401

आदिवासी नेतृत्व की कमजोरी

भाजपा में आदिवासी नेतृत्व की भी भारी कमी नजर आई। समीर उरांव जैसे नेता, जो खुद अपनी परंपरागत सीटों पर हार चुके हैं, आदिवासी समुदाय के बीच प्रभाव छोड़ने में असफल रहे।

भविष्य की चुनौती

अगर भाजपा ने आदिवासी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत नहीं की, तो पार्टी को और बड़ा नुकसान हो सकता है। संगठन को मज़बूत करने और स्थानीय नेतृत्व को तरजीह देने की आवश्यकता है।

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