डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: इजरायल और लेबनान के बीच लंबे समय से चल रहे भीषण युद्ध के बाद आखिरकार दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई है। इस समझौते को 27 नवंबर की आधी रात (इजरायल समय) से लागू किया जाएगा। हिजबुल्लाह ने भी इस फैसले का समर्थन किया है, जिससे क्षेत्र में शांति स्थापित होने की उम्मीद बढ़ गई है।
भारत ने किया सीजफायर का स्वागत
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, हम इजरायल और लेबनान के बीच घोषित युद्धविराम का स्वागत करते हैं। हमने हमेशा तनाव कम करने, संयम बरतने और बातचीत व कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है। हमें उम्मीद है कि इस फैसले से व्यापक क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी।
युद्धविराम की मुख्य शर्तें
युद्धविराम समझौते के अनुसार,
- दोनों पक्ष 60 दिनों के लिए किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई नहीं करेंगे।
- इजरायली सैनिक लेबनान से वापस लौटेंगे।
- हिजबुल्लाह के लड़ाके दक्षिणी लेबनान में इजरायली सीमा से हट जाएंगे।
हालांकि, समझौते में एक प्रावधान यह भी है कि यदि हिजबुल्लाह युद्धविराम का उल्लंघन करता है तो इजरायल को जवाबी कार्रवाई का अधिकार होगा। लेबनान ने इस प्रावधान पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
क्षेत्रीय शांति की उम्मीद
इस युद्धविराम के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव कम होने और क्षेत्र में शांति बहाल होने की संभावना जताई जा रही है। वैश्विक स्तर पर भी इस फैसले का सकारात्मक असर देखा जा सकता है।
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