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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल होगा संसद में पेश : मोदी सरकार का बड़ा कदम : 2034 के बाद से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ

नई दिल्ली: केंद्र सरकार सोमवार, 16 दिसंबर को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए ‘द कंस्टीट्यूशन (129वां संशोधन) बिल’ लोकसभा में पेश करेगी। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल इस ऐतिहासिक बिल को संसद में पेश करेंगे। इसके साथ ही ‘द यूनियन टेरिटरी (संशोधन 1) बिल’ भी संसद में प्रस्तुत किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 12 दिसंबर को इस विधेयक को मंजूरी दी गई थी। इस बिल का उद्देश्य 2034 के बाद से लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है।

संविधान संशोधन की आवश्यकता

सरकार ने लोकसभा सदस्यों को इस विधेयक का मसौदा भेज दिया है। प्रस्तावित संशोधनों के तहत चार प्रमुख अनुच्छेदों – 82A, 83, 172 और 327 में बदलाव किया जाएगा।

अनुच्छेद 82A: लोकसभा और विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रावधान।

अनुच्छेद 83: संसद के सदनों की अवधि में संशोधन।

अनुच्छेद 172: राज्य विधानसभाओं की अवधि से संबंधित बदलाव।

अनुच्छेद 327: चुनाव संचालन से जुड़े कानूनों में संशोधन।

इसके अतिरिक्त, केंद्र शासित प्रदेशों के अधिनियम और दिल्ली व जम्मू-कश्मीर के प्रावधानों में भी संशोधन किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 17 और एनसीटी सरकार की धारा 5 में बदलाव प्रस्तावित हैं।

कोविंद कमिटी की सिफारिशें

2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए सुझाव देना था। इस समिति ने 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी थी।

रिपोर्ट के अनुसार:

  1. पहला चरण: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं।
  2. दूसरा चरण: 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं।

समिति में रामनाथ कोविंद समेत कुल आठ सदस्य थे।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

इस बिल को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह भारत के संघीय ढांचे को कमजोर कर सकता है। वहीं, सरकार का दावा है कि यह कदम चुनावी खर्च में कटौती करेगा और प्रशासनिक स्थिरता लाएगा।

जनता की उम्मीदें

इस विधेयक के लागू होने से देश में चुनाव प्रक्रिया को सरल और व्यवस्थित बनाने की उम्मीद की जा रही है। यदि यह कानून पास होता है, तो यह भारतीय लोकतंत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव होगा। संसद में चर्चा पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

KK Sagar
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