उत्तराखंड कैबिनेट ने सोमवार सुबह हुई बैठक में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) के नियमों पर मुहर लगा दी है। इसके साथ ही अब जल्द ही पूरे राज्य में UCC लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संकेत दिया है कि सरकार इसी महीने UCC को अधिसूचित करेगी। सूत्रों के अनुसार, 26 जनवरी 2025 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर इसे लागू किया जा सकता है, हालांकि आधिकारिक रूप से अधिसूचना की तारीख की घोषणा अभी बाकी है।
इस बीच, सरकार ने मंगलवार को पूरे राज्य में UCC पोर्टल की मॉक ड्रिल आयोजित करने का फैसला लिया है। यह अभ्यास सरकारी अधिकारियों के प्रशिक्षण के बाद किया जा रहा है, जिससे वे UCC के कार्यान्वयन को सुचारू रूप से संचालित कर सकें।
UCC लागू होने से उत्तराखंड में बदलाव
उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा जो आजादी के बाद समान नागरिक संहिता को लागू करेगा। UCC लागू होने के बाद विवाह, तलाक, मेंटिनेंस, उत्तराधिकार, गोद लेने और संपत्ति के अधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिए समान कानून होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय से हों।
सुप्रीम कोर्ट में 2015 में UCC लागू करने को लेकर सबसे पहले याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि यह कानून धर्म से संबंधित नहीं है, बल्कि सभी नागरिकों के लिए समानता और न्याय सुनिश्चित करेगा।
UCC के प्रमुख प्रावधान और बदलाव
- शादी का अनिवार्य पंजीकरण:
विवाह का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
ग्राम सभा स्तर पर भी पंजीकरण की सुविधा दी जाएगी।
- तलाक के समान नियम:
सभी धर्मों के लोगों के लिए तलाक का एक समान कानून होगा।
वर्तमान में हर धर्म के लोग अपने पर्सनल लॉ के अनुसार तलाक लेते हैं, लेकिन UCC के तहत एक समान प्रक्रिया अपनानी होगी।
- बहुविवाह (पॉलीगैमी) पर प्रतिबंध:
सभी धर्मों में बहुविवाह को अवैध करार दिया जाएगा।
महिलाओं की विवाह योग्य न्यूनतम आयु 18 वर्ष और पुरुषों की 21 वर्ष होगी।
- गोद लेने के नियम:
सभी धर्मों को बच्चों को गोद लेने का अधिकार होगा।
लेकिन कोई व्यक्ति दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं ले सकेगा।
- हलाला और इद्दत की समाप्ति:
मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त किया जाएगा।
- उत्तराधिकार में समानता:
महिलाओं को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
उत्तराधिकार कानून में लड़कियों को भी लड़कों के बराबर हिस्सा दिया जाएगा।
- लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण:
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा।
18 से 21 साल के जोड़ों को माता-पिता की सहमति पत्र देना होगा।
UCC लागू होने के संभावित प्रभाव
👉 समानता और न्याय: समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा और महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त होंगे।
👉 कानूनी स्पष्टता: अलग-अलग पर्सनल लॉ के स्थान पर एक समान कानून से कानूनी प्रक्रिया आसान और पारदर्शी होगी।
धार्मिक तटस्थता: यह कानून धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करेगा और एकरूपता लाएगा।
UCC लागू होने की प्रक्रिया और चुनौतियाँ
UCC को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सरकार ने व्यापक तैयारियां की हैं, जिसमें संबंधित अधिकारियों का प्रशिक्षण, पब्लिक अवेयरनेस अभियान और तकनीकी सुविधाओं का विकास शामिल है। हालांकि कुछ वर्गों में इसे लेकर विरोध और समर्थन दोनों की स्थिति देखने को मिल रही है।
संभावित चुनौतियाँ
👉 धार्मिक समुदायों से विरोध
👉 सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बीच संतुलन
👉 ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी
गौरतलब हैं कि उत्तराखंड में UCC लागू होने के बाद यह भारत के अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकता है। इससे देश में एक समान नागरिक कानून लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जाएगा। सरकार की मंशा सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय दिलाने की है, जिससे समाज में एकरूपता और सद्भाव कायम हो सके।