डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी के निर्देश पर सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े मामलों पर चर्चा हेतु एक दिवसीय जिला स्तरीय मल्टी-स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी, कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश तौफीकुल हसन, लेबर जज प्रेमलता त्रिपाठी और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार सहाय ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यशाला में सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े कानूनी पहलुओं, मुआवजा प्रक्रिया की जटिलताओं और न्याय प्रणाली की गति को तेज करने के उपायो पर विस्तृत चर्चा की गई।
सड़क दुर्घटना पीड़ितों को समय पर मुआवजा दिलाना आवश्यक – न्यायाधीश तिवारी
इस अवसर पर न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि समाज के प्रति हर व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है और इसे समय पर पूरा करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने सड़क दुर्घटना मामलों में पुलिस की देरी पर चिंता जताते हुए कहा कि समय पर आवश्यक दस्तावेज कोर्ट में जमा नहीं होने के कारण मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिलने में कठिनाई होती है।
न्यायाधीश ने पुलिस पदाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार, सड़क दुर्घटना की सूचना रिपोर्ट (FIR) किसी भी स्थिति में 30 दिनों के भीतर कोर्ट को भेजी जानी चाहिए। ऐसा न करने पर संबंधित थाना प्रभारी पर कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पुलिस समय पर यह प्रक्रिया पूरी कर दे तो पीड़ित परिवार को कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कार्यशाला में कई न्यायिक और पुलिस अधिकारी रहे मौजूद
इस कार्यशाला में जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनीकांत पाठक, दुर्गेश चंद्र अवस्थी, पारस कुमार सिन्हा, साकेत कुमार, प्रफुल्ल कुमार, कुलदीप, बार एसोसिएशन के महासचिव जितेंद्र कुमार, विभिन्न थानों के थाना प्रभारी, पारा लीगल वालंटियर, मेडिएटर, डालसा के पैनल अधिवक्ता सहित अन्य लोग उपस्थित रहें ।