थिएटर में जरुरत से ज्यादा विज्ञापन दिखाना PVR सिनेमा और PVR आईनॉक्स को पड़ा महंगा, 1.28 लाख रुपये का लगा जुर्माना

mirrormedia
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थिएटर में लंबे समय तक विज्ञापन दिखाने के कारण PVR सिनेमा और PVR आईनॉक्स (अब पीवीआर) को भारी जुर्माना भरना पड़ा है। उपभोक्ता फोरम ने इसे उपभोक्ताओं के समय का अपमान मानते हुए 1.28 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। फोरम ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि समय की अहमियत सभी के लिए बराबर है और इसे व्यर्थ करना अनुचित है।

1.28 लाख रुपये का लगा जुर्माना

15 फरवरी को बेंगलुरु अर्बन डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन ने PVR सिनेमा और PVR आईनॉक्स पर कुल 1.28 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसमें 20 हजार रुपये शिकायतकर्ता अभिषेक एमआर को मुआवजे के रूप में, 8 हजार रुपये शिकायत दर्ज करने के खर्च के लिए और 1 लाख रुपये उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करने के आदेश दिए गए हैं।

क्या है पूरा मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 26 जनवरी 2023 को अभिषेक एमआर अपने परिवार के साथ फिल्म ‘सैम बहादुर’ देखने गए थे। फिल्म शुरू होने से पहले लंबी अवधि तक विज्ञापन दिखाए जाने से वे काफी परेशान हुए। इसके बाद उन्होंने 6 जनवरी को बेंगलुरु उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने फिल्म के बाद जरूरी काम पर देरी से पहुंचने का कारण अतिरिक्त विज्ञापन समय को बताया।

फिल्म के समय से देर से शुरू होने का आरोप

शिकायत के मुताबिक, फिल्म का शो शाम 4 बजकर 5 मिनट पर शुरू होना था, लेकिन थिएटर में 4:05 से 4:28 तक लगातार विज्ञापन और ट्रेलर दिखाए गए, जिसके बाद फिल्म 4:30 बजे शुरू हुई। अभिषेक का कहना है कि इस वजह से उनके 25 मिनट बर्बाद हुए और उन्हें अपने काम में देरी हुई।

फोरम का सख्त रुख: ‘समय की कीमत को समझें’

फोरम की अध्यक्ष एम. शोभा ने कहा, “आज के समय में हर व्यक्ति का समय मूल्यवान है। किसी को भी दूसरे के समय का दुरुपयोग करने का अधिकार नहीं है। थिएटर में 25-30 मिनट तक अनचाहे विज्ञापन देखने के लिए लोगों को मजबूर करना अनुचित है।” उन्होंने आगे कहा कि लोग मनोरंजन के लिए समय निकालते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि उनके पास और कोई काम नहीं है।

थिएटर का पक्ष: विज्ञापन दिखाना जरूरी, पर साबित नहीं कर पाए

थिएटर प्रबंधन ने दलील दी कि फिल्म से पहले कुछ शॉर्ट फिल्में और डॉक्युमेंट्री दिखाना अनिवार्य है। हालांकि, वे यह प्रमाणित नहीं कर सके कि जिस दिन अभिषेक फिल्म देखने गए थे, उस दिन दिखाए गए सभी विज्ञापन अनिवार्य थे।

इस फैसले ने उपभोक्ताओं के समय की अहमियत को मान्यता देते हुए थिएटरों में गैरजरूरी विज्ञापनों को लेकर एक महत्वपूर्ण मिसाल पेश की है। यह घटना दर्शाती है कि उपभोक्ताओं के अधिकारों की अनदेखी करने पर व्यवसायों को सख्त परिणाम भुगतने होंगे।

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