डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: धनबाद रेल मंडल के 22 स्टेशनों से बैंकों में जमा करने के लिए भेजी गई करोड़ों की रकम गायब हो गई। यह हेराफेरी रेलवे के कैश ले जाने वाले लिफ्टरों द्वारा की गई, जिनमें स्टेट बैंक की अधिकृत एजेंसी राइटर सेफ गार्ड लिमिटेड (डब्ल्यूएसजी) के एजेंट भी शामिल थे। मामले की जानकारी मिलने के बाद रेलवे ने जांच शुरू कर दी है।
जांच में 7.5 करोड़ की हेराफेरी का खुलासा
रेलवे के वित्त विभाग द्वारा की जा रही जांच में अब तक लगभग साढ़े सात करोड़ रुपये की हेराफेरी का पता चला है। सीनियर डीसीएम अमरेश कुमार ने बताया कि 22 में से 14 स्टेशनों से जुड़ी घटनाओं में प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है, जबकि बाकी 8 स्टेशनों के लिए एफआईआर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
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वित्तीय वर्ष 2020 से 2024 तक की जांच में बड़ा खुलासा
वित्त विभाग अब 2020 से 2024 तक के आंकड़ों की गहन जांच कर रहा है। सभी 22 स्टेशनों से संबंधित हेराफेरी का अनुमान करोड़ों रुपये में लगाया जा रहा है। सिंगरौली, शक्तिनगर, अनपरा, दुढी, नगर उंटारी समेत अन्य स्टेशनों से जुड़ी हेराफेरी की राशि भी बड़ी हो सकती है।
2023-2024 में हुई साढ़े सात-आठ करोड़ की हेराफेरी
वर्ष 2023 और 2024 में ही साढ़े सात से आठ करोड़ रुपये की हेराफेरी का पता चला है। जांच पूरी होने पर यह राशि 25 करोड़ तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।
कैश लिफ्टिंग और बैंक के बीच मिली गड़बड़ी
पूर्व मध्य रेलवे ने 2016 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ करार किया था, जिसके तहत छोटे स्टेशन से प्राप्त होने वाली राशि को बैंक में जमा कराया जाता था। लेकिन जांच में यह पाया गया कि कैश लिफ्टर ने पूरी राशि बैंक में जमा नहीं कराई, और बैंक को दिए गए ट्रेजरी रेमिटेंस नोट में राशि कम दिखाने का प्रयास किया गया। दूसरी ओर, रिसिविंग कापी में पूरी राशि दिखाई गई, जिससे करोड़ों की हेराफेरी की गई।
नए सिस्टम से गड़बड़ी की रोकथाम की कोशिश
गड़बड़ी की पुनरावृत्ति रोकने के लिए रेलवे ने पुराने सिस्टम में बदलाव किया है। अब एसएमएस अलर्ट के साथ इलेक्ट्रॉनिक रिसिप्ट भेजी जा रही है, जिसमें पूरी राशि का विवरण होता है। हालांकि, रेलवे इस नए सिस्टम को भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं मानता है और इसकी निरंतर निगरानी जारी रखी जा रही है।