इलाहाबाद हाईकोर्ट की ‘रेप नहीं’ वाली टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, फैसले पर लगाई रोक : जज की संवेदनहीनता पर जताई नाराज़गी

KK Sagar
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस विवादित फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि ‘एक किशोर लड़की की छाती पकड़ना, उसके पायजामे की डोरी तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना’ रेप या रेप के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता।

जस्टिस बीआई गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस फैसले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि यह निर्णय न्यायाधीश की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि जिस जज ने यह फैसला दिया, उसने पूरी तरह से संवेदनहीनता दिखाई है।”

शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि “हम केंद्र, यूपी सरकार और मामले से जुड़े पक्षकारों को हाई कोर्ट में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हैं।” साथ ही, महाधिवक्ता और महान्यायवादी से इस मामले में कोर्ट की सहायता करने को कहा गया है।

क्या है पूरा मामला?

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान फैसला दिया था कि उक्त कृत्य बलात्कार या बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता। इस फैसले की कड़ी आलोचना हुई थी और इसे महिलाओं की सुरक्षा से खिलवाड़ बताया जा रहा था। सुप्रीम कोर्ट की त्वरित कार्रवाई से इस फैसले पर रोक लगा दी गई है और अब मामले की दोबारा सुनवाई होगी।

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