राजनीति में बड़ा कदम: शिवदीप लांडे ने बनाई अपनी पार्टी ‘हिंद सेना’
बिहार की सियासी फिजाओं में इन दिनों एक नया नाम तेजी से गूंज रहा है—पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप वामनराव लांडे। मंगलवार, 08 अप्रैल 2025 को पटना में आयोजित एक भव्य प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने औपचारिक रूप से राजनीति में कदम रखने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘हिंद सेना’ का भी गठन किया।
लांडे ने घोषणा की कि उनकी पार्टी बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएगी और आगामी विधानसभा चुनावों में भाग लेगी। उन्होंने खुद भी चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की। उनका कहना है कि “बिहार के युवाओं में बदलाव की ललक है और वही इस बदलाव के वाहक बनेंगे।”

‘हिंद सेना’ का उद्देश्य: जाति-धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर बदलाव की ओर
लांडे ने पार्टी का नाम ‘हिंद सेना’ रखते हुए बताया कि “हमारे खून के हर कतरे में हिंद है, इसलिए इसका नाम हिंद सेना रखा गया।” पार्टी का सिंबल खाकी रंग की पृष्ठभूमि पर बना त्रिपुंड है—जो उनके पुलिसिया सेवाकाल और भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का मकसद है:
- जातिवाद और संप्रदायवाद की राजनीति को खत्म करना
- वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर काम पर केंद्रित शासन देना
- युवाओं को नेतृत्व में शामिल करना
- ईमानदार और पारदर्शी प्रशासन की स्थापना करना
लांडे ने इस मौके पर कहा, “बिहार में सिर्फ सरकारें बदली हैं, हालात नहीं। अब समय है बिहार को सही मायनों में बदलने का।”
राजनीतिक ऑफर ठुकराकर चुना संघर्ष का रास्ता
शिवदीप लांडे ने दावा किया कि उन्हें कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों से बड़े प्रस्ताव मिले:
- राज्यसभा भेजने की पेशकश
- मंत्री पद और
- मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने का ऑफर
लेकिन उन्होंने इन सभी प्रस्तावों को ठुकरा दिया। “मैं सत्ता की लालसा में नहीं आया, मैं बदलाव का माध्यम बनना चाहता हूं। मुझे बिहार के युवाओं पर भरोसा है,” उन्होंने कहा।
पुलिस सेवा में भी रहे बदलाव के प्रतीक
शिवदीप लांडे की पहचान एक दबंग और ईमानदार अधिकारी के रूप में रही है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बार ऐसे काम किए जो मीडिया की सुर्खियां बने और जनता के दिलों में उनके लिए सम्मान और भरोसा पैदा किया।
जनवरी 2015 की वह घटना आज भी लोगों के जेहन में ताज़ा है जब पटना के डाकबंगला चौराहे पर उन्होंने घूसखोरी के एक मामले में पुलिस इंस्पेक्टर सर्वचंद को रंगेहाथ पकड़ने के लिए फिल्मी अंदाज़ में दुपट्टा ओढ़कर भेष बदला था। जैसे ही आरोपी इंस्पेक्टर पैसे लेने पहुंचा, लांडे ने उसे वहीं गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, बाद में सबूतों के अभाव में सर्वचंद को रिहा कर दिया गया।
सिस्टम से मोहभंग या व्यवस्था को भीतर से सुधारने की चाह?
लांडे ने 19 सितंबर 2024 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उस वक्त वे पूर्णिया रेंज के आईजी के पद पर कार्यरत थे। उनके इस्तीफे के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा था कि वे इसे वापस ले सकते हैं, लेकिन उन्होंने अपने फैसले पर अडिग रहते हुए 13 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा स्वीकृत इस्तीफे के साथ पुलिस सेवा को अलविदा कह दिया।
अब ‘हिंद सेना’ से कितनी उम्मीदें?
बिहार की राजनीति लंबे समय से जातीय समीकरणों और वोट बैंक की गणनाओं में उलझी रही है। ऐसे में शिवदीप लांडे जैसे चेहरे का सामने आना न केवल एक ताज़ा हवा का झोंका है, बल्कि युवाओं को प्रेरित करने वाला कदम भी है।
उनकी ईमानदार छवि, प्रशासनिक अनुभव और युवाओं में लोकप्रियता उन्हें बिहार की राजनीतिक धरातल पर एक गंभीर दावेदार बनाती है। अब देखने वाली बात होगी कि:
- क्या ‘हिंद सेना’ बिहार की जमीनी राजनीति में जगह बना पाएगी?
- क्या लांडे का ‘ईमानदारी और बदलाव’ का मंत्र वोट में तब्दील हो पाएगा?
- क्या युवा उन्हें अपना नेता मानने को तैयार होंगे?
अंतिम पंक्ति: क्या लांडे बिहार के लिए नया अध्याय लिख पाएंगे?
शिवदीप लांडे का राजनीति में प्रवेश केवल एक आईपीएस अधिकारी का करियर शिफ्ट नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है—कि व्यवस्था को बदलने के लिए बाहर से आवाज उठानी होगी। अब ये देखना होगा कि ‘हिंद सेना’ और लांडे का यह राजनीतिक प्रयोग कितना सफल होता है।