अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अपने टैरिफ वाले फैसले से बड़ा यूटर्न लेते हुए 75 से ज्यादा देशों पर लगाए गए टैरिफ पर 90 दिन की अस्थायी रोक लगा दी है। हालांकि, यह राहत चीन के लिए नहीं है। ट्रंप ने चीन पर टैरिफ को 104% से बढ़ाकर 125% कर दिया है।
यह फैसला चीन द्वारा अमेरिका पर 84% टैरिफ लगाने के जवाब में लिया गया है। ट्रंप ने साफ किया कि चीन की नीतियों के कारण ही यह कदम उठाया गया, जबकि बाकी देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बातचीत के बाद उन्हें अस्थायी राहत दी गई है।
बाजार और वैश्विक दबाव बना वजह
ट्रंप के टैरिफ के कारण शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई थी। अमेरिका सहित कई देशों में महंगाई और मंदी का डर बढ़ने लगा था। कई देशों ने जवाबी टैरिफ लगाया, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 लाख करोड़ डॉलर की गिरावट आई। हालांकि, अमेरिका की शेयर मार्केट में 3.1 लाख करोड़ डॉलर की बढ़त हुई, लेकिन यह टिकाऊ नहीं थी।
अंदरूनी और बाहरी दबाव के कारण बदला फैसला:
- अमेरिकी कंपनियों और ट्रंप के करीबी सहयोगियों ने टैरिफ के विरोध में आवाज उठाई।
- एलन मस्क ने भी टैरिफ हटाने की सलाह दी थी।
- ट्रंप की अपनी पार्टी ने टैरिफ को असंवैधानिक और खतरनाक बताया।
- क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट आई और अमेरिका के बॉन्ड बिकने लगे।
- महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने लगी, जिससे बड़े बैंक मंदी की चेतावनी देने लगे।
- चीन से सामान मंगवाना महंगा होने के चलते कंपनियों को दिक्कत हो रही थी, विकल्प नहीं मिल रहे थे।
90 दिन की राहत और नया मौका
अमेरिका के ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने बताया कि जो देश अमेरिका के साथ डील करेंगे, उनके लिए टैरिफ मात्र 10% होगा। यह 90 दिन का समय देशों के साथ नए व्यापार समझौते करने के लिए एक मौका होगा। ट्रंप ने यह भी साफ किया कि जिन देशों ने अमेरिका की नीति के खिलाफ कोई जवाबी कदम नहीं उठाया, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।