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मेरी संपत्ति है, कैसे रोक सकते हैं? – कपिल सिब्बल की दलील के साथ वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक महायुद्ध

नई दिल्ली: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बड़ी सुनवाई शुरू हो गई है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले में दाखिल की गई करीब 70 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ताओं ने इस अधिनियम की कई धाराओं को संविधान के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, असदुद्दीन ओवैसी के वकील और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित कई प्रमुख वकील मौजूद रहे। याचिकाओं में यह तर्क दिया गया है कि संशोधित वक्फ कानून धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

कपिल सिब्बल ने एक अहम मुद्दा उठाते हुए कहा, “नए कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पिछले 5 सालों में इस्लाम धर्म अपनाता है, तो वह वक्फ को संपत्ति दान नहीं कर सकता। यह अनुचित है क्योंकि अगर वह व्यक्ति अपनी संपत्ति का मालिक है, तो वह कैसे रोका जा सकता है?”

इस बीच, छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और राजस्थान सहित कई राज्यों ने इस कानून के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन राज्यों ने कोर्ट से मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग करते हुए कहा है कि वक्फ कानून को चुनौती देना संविधान का उल्लंघन नहीं है।

केंद्र सरकार भी कानून के समर्थन में पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रही है। सरकार को भरोसा है कि संसद द्वारा पारित इस अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की कोशिश नाकाम होगी।

यह मामला आने वाले समय में धार्मिक स्वतंत्रता, संपत्ति के अधिकार और धर्मांतरण के बाद नागरिक अधिकारों के संतुलन को लेकर अहम संवैधानिक सवाल खड़ा कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट में इस महत्वपूर्ण मसले पर बहस अभी जारी है।

KK Sagar
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