भले ही पाकिस्तान खुद को शांतिप्रिय बताने की लाख कोशिश करे, लेकिन आतंकपरस्त पड़ोसी का सच किसी से छुपा नहीं है। पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत सरकार पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए कूटनीतिक कदम उठाने जा रही है। भारत सरकार आतंकवाद के खिलाफ अपने ‘जीरो टॉलरेंस’ के संदेश को ग्लोबल मंच पर मजबूती से रखने का प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार सांसदों के समूह को भेज रही है। हर समूह में अलग-अलग पार्टियों के कम से कम पांच सांसद होंगे। उनके साथ एक सीनियर राजनयिक भी होगा। ये समूह अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ (EU), रूस, जापान, दक्षिण अफ्रीका और खाड़ी देशों जैसे अहम शहरों में जाएंगे।

भारत के सख्त रुख का संदेश लेकर जाएंगे सांसद
22 मई के बाद सांसदों का प्रतिनिधिमंडल विदेश दौरे पर जाना शुरू होगा। ये सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भारत के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ भारत के सख्त रुख का संदेश लेकर जाएंगे। सरकार ने इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वाले नेताओं का चयन सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से किया है। इन ग्रुपों में सभी पार्टियों के सांसदों को शामिल किया जा रहा है,सीनियर राजनयिक इन सांसदों की मदद करेंगे। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में चार नेता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से हैं, जबकि तीन विपक्षी इंडिया गठबंधन से आते हैं। इस लिस्ट में पूर्व विदेश सचिव एच.वी. श्रृंगला, फ्रांस में भारत के पूर्व राजदूत जावेद अशरफ और मोहन कुमार, और जापान में पूर्व राजदूत सुजान चिनॉय जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नेता:
- रवि शंकर प्रसाद (भाजपा सांसद)
- बैजयंत पांडा (भाजपा सांसद)
- शशि थरूर (कांग्रेस सांसद)
- संजय झा (जदयू सांसद)
- कनीमोझी (डीएमके सांसद)
- सुप्रिया सुले (एनसीपी – शरद पवार गुट सांसद)
- श्रीकांत शिंदे (शिवसेना सांसद)
अमेरिका में सांसदों की कमान होगी थरूर के हाथों में
कांग्रेस सांसद शशि थरूर अमेरिका जाएंगे। जेडीयू के सांसद संजय झा और श्रृंगला भी एक समूह का नेतृत्व करेंगे। सुप्रिया सुले (एनसीएसपी), और श्रीकांत शिंदे (शिवसेना) भी एक-एक समूह का नेतृत्व कर रहे हैं। सुले के समूह में राजीव प्रताप रूडी (बीजेपी), अनुराग ठाकुर (बीजेपी), मनीष तिवारी (कांग्रेस), बृज लाल (बीजेपी) और तेजस्वी सूर्या (बीजेपी) शामिल हैं। असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) भी एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे। डीएमके नेता कनिमोझी रूस जाने वाले समूह का नेतृत्व करेंगी। आरजेडी सांसद प्रेम चंद गुप्ता उनकी टीम में हैं।
सरकार का क्या है मकसद?
इन समूहों को भेजने का मकसद है कि भारत सरकार दुनिया को पहलगाम की घटना और “ऑपरेशन सिंदूर” के बारे में सही जानकारी दे। सरकार चाहती है कि दुनिया को पता चले कि असल में क्या हुआ था और भारत इस मामले में क्या कर रहा है। अलग-अलग पार्टियों के सांसदों को भेजने से यह भी पता चलता है कि इस मुद्दे पर पूरा देश एक साथ है। सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि दुनिया के बड़े देशों को इस बारे में सही जानकारी मिले, ताकि कोई गलतफहमी न हो।