लेखक: (कमल) के.के. सागर
भारतीय राजनीति में कुछ घटनाएं समय की रफ्तार से भी तेज असर छोड़ती हैं — शशि थरूर का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में शामिल होना ऐसी ही एक घटना है। एक ओर राष्ट्रहित का हवाला, दूसरी ओर पार्टी के भीतर नाराजगी — थरूर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वो न सिर्फ विचारों में अलग हैं, बल्कि अपनी राजनीतिक दिशा में भी स्वतंत्रता के हिमायती हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’: देश के लिए वैश्विक आवाज
प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में शुरू किया गया ‘ऑपरेशन सिंदूर’, भारत का एक रणनीतिक प्रयास है — पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए। इस मिशन के लिए गठित प्रतिनिधिमंडल में थरूर जैसे कद्दावर कांग्रेस नेता को जगह दी गई, जो खुद भी एक पूर्व राजनयिक और विदेश मामलों के विशेषज्ञ हैं।
थरूर ने इस भूमिका को स्वीकार करते हुए इसे ‘राष्ट्रीय कर्तव्य’ बताया और सरकार को धन्यवाद भी दिया।
कांग्रेस की चुप्पी में छिपी बेचैनी
थरूर की यह सक्रियता कांग्रेस आलाकमान को अखर गई। पार्टी पहले ही अपने चार नामों को प्रतिनिधिमंडल में भेज चुकी थी, लेकिन सरकार ने केवल आनंद शर्मा को मंजूरी दी। बाकी नेताओं की अनदेखी के बीच थरूर का सीधा नाम सामने आना कांग्रेस को अंदर ही अंदर झकझोर गया।
क्या थरूर ने पार्टी से बिना पूछे यह फैसला लिया?
क्या केंद्र सरकार कांग्रेस में ‘फूट’ की रणनीति पर चल रही है?
अशोक गहलोत और अन्य वरिष्ठ नेता इस फैसले पर खुलकर सवाल उठा रहे हैं।
‘मोदी की तारीफ’, ‘पार्टी से दूरी’ — एक पैटर्न बन रहा है क्या?
थरूर का झुकाव लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है — उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की सराहना की, यहां तक कि केरल में विपक्षी सीपीआई(एम) सरकार की तारीफ भी की।
कांग्रेस का एक खेमा मानता है कि थरूर ‘पार्टी लाइन’ को नजरअंदाज करते हैं और अपने हिसाब से राजनीति करते हैं, जो कि पार्टी की एकता के लिए संकट पैदा करता है।
क्या थरूर भाजपा में जा सकते हैं?
इस सवाल पर थरूर अब तक चुप्पी साधे हुए हैं या मजाक में टालते रहे हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हैं।
पूर्व राज्यसभा उपसभापति पी.जे. कुरियन जैसे वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
अंतिम सवाल: क्या थरूर ‘फ्री थिंकिंग’ नेता हैं या कांग्रेस के लिए चुनौती?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बहाने जो सवाल खड़े हुए हैं, वो सिर्फ एक मिशन या एक नेता तक सीमित नहीं हैं —
ये भारत की विपक्षी राजनीति की विश्वसनीयता, अनुशासन और विचारधारा पर भी सवाल उठाते हैं।
कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वो थरूर जैसे नेताओं को अपनी ताकत मानेगी या एक अलग राह पर चलता देख कटघरे में खड़ा करेगी।
आपका नजरिया क्या कहता है?
क्या थरूर सही कर रहे हैं? या वो कांग्रेस को कमजोर कर रहे हैं? अपनी राय नीचे साझा करें — लोकतंत्र संवाद से चलता है।
👉 बता दें कि शशि थरूर भारतीय राजनीति के एक बहुआयामी और प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं, जिनका करियर कूटनीति, साहित्य और संसदीय राजनीति के क्षेत्रों में फैला हुआ है। उनका जीवन और कार्य भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं।
🧭 शशि थरूर का सियासी सफर: कूटनीति से संसद तक
शशि थरूर का जन्म 9 मार्च 1956 को लंदन में हुआ था, लेकिन उनका पालन-पोषण मुंबई और कोलकाता में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 22 वर्ष की आयु में अमेरिका के टफ्ट्स विश्वविद्यालय के फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, जो उस समय इस संस्थान से सबसे कम उम्र में प्राप्त की गई डॉक्टरेट थी।
1978 में, थरूर ने संयुक्त राष्ट्र में अपने करियर की शुरुआत की और लगभग तीन दशकों तक विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिसमें सिंगापुर में UNHCR कार्यालय के प्रमुख, महासचिव के कार्यालय में संचार और विशेष परियोजनाओं के निदेशक, और संचार और सार्वजनिक सूचना के लिए अवर महासचिव शामिल हैं।
2006 में, भारत सरकार ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में नामित किया। हालांकि वे इस पद के लिए चुने नहीं गए, लेकिन उन्होंने इस प्रक्रिया में दूसरा स्थान प्राप्त किया।
🗳️ भारतीय राजनीति में प्रवेश और कांग्रेस में भूमिका
2009 में, थरूर ने भारतीय राजनीति में कदम रखा और केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने। इसके बाद वे 2014, 2019 और 2024 में भी इस सीट से निर्वाचित हुए, जिससे वे लगातार चार बार सांसद बने।
उन्होंने भारत सरकार में मानव संसाधन विकास और विदेश मामलों के राज्य मंत्री के रूप में भी सेवा की है। इसके अलावा, वे कांग्रेस पार्टी के ‘ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस’ के संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं और संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष पद पर भी कार्य कर चुके हैं।
📚 लेखक और विचारक के रूप में योगदान
शशि थरूर एक प्रतिष्ठित लेखक भी हैं, जिन्होंने ‘द ग्रेट इंडियन नोवेल’, ‘इंग्लोरियस एम्पायर’, ‘व्हाई आई एम ए हिंदू’ और ‘अंबेडकर: ए लाइफ’ जैसी कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं। उनकी लेखनी में भारतीय इतिहास, संस्कृति और राजनीति की गहन समझ झलकती है।
शशि थरूर का यह बहुआयामी करियर उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है, जहां वे अपने विचारों, लेखन और कार्यों के माध्यम से निरंतर प्रभाव डालते रहे हैं।