वक्फ मामला: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी, तुषार मेहता बोले – “100 साल पुरानी वक्फ संपत्ति के कागज़ नहीं, तो कहानी क्यों गढ़ी जा रही है?”

KK Sagar
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सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर अहम सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कई गंभीर सवाल और जवाब सामने आए, जिनमें कागज़ात की उपलब्धता, संसद की प्रक्रिया, और वक्फ संपत्ति के पंजीकरण से जुड़े पहलू शामिल रहे।

कोर्ट ने पूछा – क्या सेक्शन 3D जेपीसी के सामने रखा गया था?

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या वक्फ अधिनियम का सेक्शन 3D संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के समक्ष प्रस्तुत किया गया था? इस पर मेहता ने उत्तर दिया, “हां, इसे जेपीसी के सामने रखा गया और यह विधेयक संसद में भी प्रस्तुत कर पारित किया गया।”

“अगर वक्फ 100 साल पुराना है, तो कागज़ क्यों नहीं दिखा रहे?”

इस सवाल पर SG तुषार मेहता ने जोरदार जवाब देते हुए कहा, “100 साल पुरानी संपत्ति के कागज़ हम कहां से लाएं? कृपया बताइए कि क्या कागज़ कभी अनिवार्य थे? यह एक कहानी गढ़ी जा रही है। अगर आप कहते हैं कि वक्फ 100 साल पहले बना था, तो कम से कम पिछले 5 सालों के दस्तावेज़ ही दिखाइए। यह महज़ औपचारिकता नहीं है, बल्कि इस अधिनियम के साथ एक पवित्रता जुड़ी हुई है। 1923 का कानून कहता है कि अगर आपके पास दस्तावेज़ हैं, तो प्रस्तुत करें, अन्यथा मूल के बारे में जो जानते हैं, वह साझा करें।”

“हिंदू बंदोबस्ती आयुक्त मंदिर में जा सकते हैं, वक्फ बोर्ड नहीं”

मेहता ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिरों में पुजारी की नियुक्ति राज्य सरकार करती है और हिंदू बंदोबस्ती आयुक्त मंदिर के अंदर जाकर निरीक्षण कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करता है, जबकि वास्तविकता यह है कि वक्फ बोर्ड का धार्मिक गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं होता।”

पंजीकरण को लेकर भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वक्फ संपत्तियों की रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था 1923 से मौजूद है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पहले के कानूनों में 3 महीने का समय होता था, अब यह 6 महीने कर दिया गया है। इस पर मेहता ने उत्तर दिया, “हां, और जो रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए हैं, उनके लिए अब भी अवसर मौजूद है। यह भ्रांति फैलाई जा रही है कि संपत्तियों को हड़प लिया जाएगा। जबकि वास्तविकता यह है कि केवल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।”

“वक्फ बाय यूजर” पर आपत्ति

SG मेहता ने कहा, “वक्फ बाय यूजर के मामलों में रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता को हटाना ऐसा होगा मानो किसी अवैध कार्य को वैध मान लिया जाए जो संभवतः पहले दिन से ही गलत था।”

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