मिरर डेस्क/ नई दिल्ली: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने घोषणा की है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने इस वर्ष केरल में समय से आठ दिन पहले, यानी 24 मई 2025 को दस्तक दे दी है। सामान्य तौर पर मानसून की आधिकारिक शुरुआत 1 जून को मानी जाती है, लेकिन इस बार यह 2009 के बाद सबसे जल्दी आगमन है। भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 1975 से अब तक मानसून का सबसे जल्दी आगमन 1990 में 19 मई को दर्ज किया गया था, जबकि 2009 में यह 23 मई को केरल पहुंचा था। इस वर्ष मानसून के जल्दी आगमन के लिए कई मौसमी कारक जिम्मेदार हैं। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में अनुकूल निम्न दबाव प्रणालियों और तेज दक्षिण-पश्चिमी हवाओं ने मानसून की प्रगति को बढ़ावा दिया। इसके अलावा, हाल ही में चक्रवात ‘रेमल’ के अवशेषों ने भी मानसूनी हवाओं को केरल तट की ओर तेजी से खींचने में मदद की। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया, ‘इस साल मानसून की शुरुआत के लिए अनुकूल परिस्थितियां पहले ही बन चुकी थीं, जिसके कारण यह समय से पहले केरल पहुंच गया।’
मानसून ने केरल के साथ-साथ लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में भी प्रवेश कर लिया है। अगले 48 घंटों में मानसून के कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में पहुंचने की संभावना है। मौसम विभाग ने यह भी अनुमान लगाया है कि इस वर्ष मानसून सामान्य से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है, जिसके पीछे ला नीना प्रभाव और हिंद महासागर डाइपोल (IOD) की सकारात्मक स्थिति को कारण बताया जा रहा है। आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार, जून से सितंबर तक देश में 106% औसत बारिश होने की संभावना है, जो सामान्य 87 सेमी बारिश से अधिक है।
मौसम विभाग के 1975 से 2025 तक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मानसून का आगमन सामान्य तिथि (एक जून) के आसपास होता है, लेकिन कुछ वर्षों में यह असामान्य रूप से जल्दी या देर से आता है। 1990 में 19 मई को मानसून का आगमन अब तक का सबसे जल्दी रिकॉर्ड है, जबकि 2009 में 23 मई को यह केरल पहुंचा था। इसके विपरीत, 2016 में मानसून 8 जून को देरी से आया था। इस बार का 24 मई का आगमन 2009 के बाद सबसे जल्दी और कुल मिलाकर तीसरा सबसे जल्दी आगमन है।
स्थानीय प्रभाव और तैयारी
केरल में मानसून के जल्दी आगमन से किसानों और स्थानीय प्रशासन में उत्साह है, क्योंकि यह खरीफ फसलों की बुआई के लिए अनुकूल समय है। धान, मसाले, और नारियल जैसे फसलों के लिए यह बारिश महत्वपूर्ण है। हालांकि, IMD ने भारी बारिश और बाढ़ की संभावना को देखते हुए तटीय क्षेत्रों में सतर्कता बरतने की सलाह दी है। केरल के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और नदियों के किनारे बस्तियों में बाढ़ की तैयारियों को मजबूत करने का निर्देश दिया है।

