टाटा स्टील मैनेजर की परिवार सहित आत्महत्या पर कई अनसुलझे सवाल, क्या पोस्टमार्टम से मिलेगा जवाब?

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : गम्हरिया में टाटा स्टील के सीनियर मैनेजर कृष्ण कुमार, उनकी पत्नी डोली देवी और उनकी दो नाबालिग बेटियों (कृति/पूजा और मईया) की आत्महत्या की घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। शुक्रवार रात को आदित्यपुर पुलिस द्वारा एमजीएम अस्पताल में शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था, और आज (24 मई) को होने वाले पोस्टमार्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट का इंतजार है। इस बीच, इस त्रासदी ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जिनका जवाब पुलिस जांच और सामाजिक चर्चाओं से खोजा जा रहा है।

पोस्टमार्टम और प्रारंभिक जांच
आदित्यपुर पुलिस ने शुक्रवार रात को शवों को एमजीएम अस्पताल पहुंचाया, जहां आज पुलिस की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है, क्योंकि चारों शव फंदे पर लटके मिले थे। हालांकि, कोई सुसाइड नोट न मिलने से पुलिस अन्य संभावनाओं को भी खारिज नहीं कर रही। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मृत्यु के समय, कारण और संभावित बाहरी कारकों (जैसे जहर या हिंसा) की जानकारी मिलने की उम्मीद है। पुलिस ने बताया कि फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सबूत एकत्र किए हैं, और परिवार के फोन रिकॉर्ड्स और हाल के संपर्कों की जांच की जा रही है।

कृष्ण कुमार (45), टाटा स्टील में सीनियर मैनेजर थे और हाल ही में उन्हें कैंसर का निदान हुआ था। मुंबई में इलाज के बाद उन्हें कीमोथेरेपी की सलाह दी गई थी, लेकिन बताया जाता है कि वह डिप्रेशन में चले गए थे। उनकी पत्नी डोली देवी (40) उनकी दूसरी पत्नी थीं, और उनकी दो बेटियां (लगभग 10 और 12 वर्ष की) इस त्रासदी का हिस्सा बनी। पड़ोसियों के अनुसार, परिवार सामान्य रूप से शांत और सामाजिक था, लेकिन पिछले कुछ महीनों में उनसे कम संपर्क देखा गया था। सवाल उठ रहा है कि क्या कैंसर का डर और मानसिक दबाव ने पूरे परिवार को इस कदम तक पहुंचाया, या कोई अन्य अनसुलझा मुद्दा था?

यह घटना कॉर्पोरेट और सामाजिक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को उजागर करती है। टाटा स्टील ने कृष्ण कुमार के इलाज के लिए आवेदन स्वीकार किया था, लेकिन क्या कंपनी ने उनकी मानसिक स्थिति पर ध्यान दिया? विशेषज्ञों का कहना है कि कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य सहायता और काउंसलिंग की कमी इस तरह की त्रासदियों को बढ़ावा दे सकती है। इसके अलावा, पड़ोसियों द्वारा तीन दिन तक परिवार से संपर्क न होने की अनदेखी ने भी सामाजिक अलगाव के मुद्दे को सामने लाया है।

एक पड़ोसी ने बताया, ‘कृष्ण जी बहुत मिलनसार थे, लेकिन हाल में वह कम दिखाई देते थे। हमें नहीं पता था कि इतनी बड़ी बात हो रही थी।’ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की कमी का परिणाम बताया और सरकार व निजी संस्थानों से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की है।

आगे की जांच और अपील
पुलिस ने बताया कि वे परिवार के रिश्तेदारों, सहकर्मियों और दोस्तों से पूछताछ कर रहे हैं ताकि घटना के पीछे की परिस्थितियों को समझा जा सके। टाटा स्टील ने भी एक बयान जारी कर दुख व्यक्त किया और कहा कि वे जांच में पुलिस का पूरा सहयोग कर रहे हैं। इस बीच, स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को गंभीरता से लें और समय रहते सहायता लें। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर कई प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से जोड़ रहे हैं, जबकि अन्य इसे सामाजिक और पारिवारिक दबावों का परिणाम मानते हैं। एक एक्स यूजर निमेश ने लिखा, ‘ऐसी त्रासदी को रोकने के लिए हमें अपने आसपास के लोगों पर ध्यान देना होगा। मानसिक स्वास्थ्य कोई मजाक नहीं है।’

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