CBSE बदलेगा क्लासरूम की भाषा – क, ख, ग अब अपनी ज़ुबान में | R1 में शिक्षा, R2 से संवाद | स्कूलों को भी 5 जुलाई से देनी होगी रिपोर्ट

KK Sagar
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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF-2023) के तहत भाषा शिक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके तहत सभी सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों को मई 2025 के अंत तक आवश्यक तैयारियां पूरी करनी होंगी। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।

मुख्य बिंदु:

  1. मातृभाषा में पढ़ाई को प्राथमिकता (R1):
    कक्षा पूर्व से कक्षा 2 तक की पढ़ाई बच्चों की मातृभाषा या उनके लिए परिचित किसी क्षेत्रीय भाषा में करवाई जाएगी। यह बच्चों की भाषाई समझ और बुनियादी साक्षरता को मजबूत करने में सहायक होगा। यदि मातृभाषा में पढ़ाई संभव न हो तो राज्य की भाषा को R1 के रूप में अपनाया जा सकता है।
  2. द्विभाषी शिक्षा की शुरुआत (R2):
    R1 के अतिरिक्त एक दूसरी भाषा (R2) भी बच्चों को सिखाई जाएगी, जिससे वे बहुभाषिक वातावरण में सहज हो सकें। हालांकि, कक्षा 2 तक साक्षरता से जुड़े सभी लक्ष्य केवल R1 भाषा में ही पूरे किए जाएंगे।
  3. तैयारी की समयसीमा:
    सभी स्कूलों को मई 2025 तक एक NCF कार्यान्वयन समिति बनानी होगी जो भाषाई जरूरतों का आकलन करेगी और शिक्षण सामग्री तैयार करवाएगी। इसके साथ ही जुलाई 2025 से पहले शिक्षकों को बहुभाषी शिक्षण और मूल्यांकन के लिए प्रशिक्षित करना अनिवार्य होगा।
  4. रिपोर्टिंग व्यवस्था:
    5 जुलाई 2025 से स्कूलों को अपनी तैयारी और प्रगति की मासिक रिपोर्ट CBSE को सौंपनी होगी।
  5. समावेशी शिक्षा पर जोर:
    RPWD अधिनियम 2016 के तहत विशेष जरूरतों वाले छात्रों को अतिरिक्त सहायता और संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि वे भी समान रूप से लाभान्वित हो सकें।
  6. प्रारंभिक कक्षाओं से प्रभाव:
    जुलाई 2025 से यह नई भाषा नीति कक्षा-कक्षों में लागू हो जाएगी और कक्षा 3 से 5 (Preparatory Stage) तक भारतीय भाषाओं को माध्यम के रूप में अपनाने का विकल्प दिया जाएगा।

CBSE का उद्देश्य:

इस नई नीति का उद्देश्य छात्रों को उनकी अपनी भाषाओं में बेहतर समझ विकसित करने का अवसर देना है, जिससे वे न केवल विषयवस्तु को बेहतर समझ सकें बल्कि अपनी सांस्कृतिक जड़ों से भी जुड़े रहें। साथ ही, शिक्षकों को भी नई शिक्षण पद्धतियों को अपनाने का मौका मिलेगा।

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