सोमवती अमावस्या पर वट सावित्री व्रत का दुर्लभ संयोग, पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए जानें पूजा का सही तरीका

KK Sagar
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वट सावित्री व्रत 2025 का आयोजन आज, सोमवार, 26 मई को किया जा रहा है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें वे अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक सौभाग्य की कामना करती हैं।

🌿 व्रत का महत्व और पौराणिक कथा

वट सावित्री व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी है। कहानी के अनुसार, सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और भक्ति से यमराज से अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस प्राप्त किए थे, और यह घटना वट वृक्ष के नीचे घटित हुई थी। इसलिए इस दिन वट वृक्ष की पूजा के साथ व्रत कथा का पाठ करने से महिलाओं को व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और उनके पति को दीर्घ जीवन तथा परिवार को सुख-समृद्धि मिलती है।

🕉️ शुभ मुहूर्त और योग

अमावस्या तिथि प्रारंभ: 26 मई 2025 को दोपहर 12:11 बजे

अमावस्या तिथि समाप्त: 27 मई 2025 को सुबह 8:31 बजे

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:54 से दोपहर 12:42 तक

विशेष योग: भरणी नक्षत्र, शोभन योग और अतिगण्ड योग का शुभ संयोग बन रहा है।

इस बार वट सावित्री व्रत सोमवार को पड़ रहा है, जिससे यह सोमवती अमावस्या भी बन रही है। यह संयोग अत्यंत दुर्लभ और सौभाग्यशाली माना जाता है।

🛕 पूजा विधि

  1. स्नान और संकल्प: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। महिलाएं सोलह श्रृंगार कर सकती हैं। ‘मम वैधव्य दोष परिहारार्थं, पुत्र-पौत्रादि सकल संतान समृद्धर्थम्, सौभाग्य स्थैर्यसिद्धयर्थं वट सावित्री व्रत करिष्ये’ मंत्र का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  2. वट वृक्ष की पूजा: वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की विधिवत पूजा करें। वट वृक्ष में त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है।
  3. कथा पाठ: सावित्री-सत्यवान की कथा का पाठ करें। यह कथा व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
  4. परिक्रमा: वट वृक्ष के चारों ओर कच्चे सूत या कलावे से 7 या 21 बार परिक्रमा करें। इस परिक्रमा के दौरान व्रती स्त्रियां मन में पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

🪔 विशेष उपाय

वट सावित्री व्रत के दिन कुछ विशेष उपाय करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं:

नज़र दोष से बचाव: वट वृक्ष के चारों ओर सफेद धागा बांधें और नज़र उतारने की विधि अपनाएं।

श्रृंगार सामग्री का दान: श्रृंगार सामग्री, फूल और सिंदूर का दान करें।

मंत्र जाप: सावित्री मंत्र और रक्षा स्तोत्र का जाप करें।

लक्ष्मी-नारायण पूजा: लक्ष्मी-नारायण की पूजा करें।

📿 पूजन सामग्री

वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री आवश्यक है:

कच्चा सूत या कलावा

सिंदूर

फूल

धूप-दीप

श्रृंगार सामग्री

फल और मिठाई

जल से भरा कलश

सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या चित्र

❌ क्या न करें

वट सावित्री व्रत के दिन कुछ कार्यों से बचना चाहिए:

किसी की निंदा या अपशब्द न बोलें।

झूठ न बोलें।

काले रंग के वस्त्र न पहनें।

व्रत के दौरान जल ग्रहण न करें।

वट वृक्ष की पूजा के बाद ही अन्न ग्रहण करें।

वट सावित्री व्रत का पालन श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य, पति की लंबी उम्र और पारिवारिक सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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