गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक बार फिर कांग्रेस पर हमला बोला है। इस बार उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कटघरे में खड़ा किया है। दुबे ने X (पूर्व में ट्विटर) पर अमेरिकी विदेश विभाग के एक गोपनीय दस्तावेज़ को साझा करते हुए दावा किया है कि 1962-64 के बीच भारत ने अमेरिका और ब्रिटेन के दबाव में कश्मीर के हिस्से पाकिस्तान को देने पर सहमति जताई थी।
क्या है दस्तावेज़ में?



यह दस्तावेज़ अमेरिकी राजनयिक मैककॉनाॅघी द्वारा वॉशिंगटन को भेजा गया था, जिसमें बताया गया कि तत्कालीन पाकिस्तानी विदेश मंत्री ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो और भारतीय मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह के बीच कश्मीर को लेकर एक गुप्त बातचीत चल रही थी। इसमें भारत और पाकिस्तान दोनों ने “Partition Line” (विभाजन रेखा) के प्रस्ताव एक-दूसरे को दिए थे। दस्तावेज़ में यह भी कहा गया है कि इन प्रस्तावों को दोनों देशों की सरकारों के भीतर भी गोपनीय रखा गया था।
पाकिस्तानी प्रस्ताव का खुलासा
भुट्टो के अनुसार, पाकिस्तान ने जो लाइन प्रस्तावित की थी वह उधमपुर, चिनाब नदी, किश्तवाड़ और किशनगंगा घाटी के माध्यम से जाती थी। इसका अर्थ यह हुआ कि गुरेज़, पुंछ, और उरी जैसे महत्वपूर्ण इलाके भारत से पाकिस्तान को दिए जाने की बात चल रही थी। दस्तावेज़ में यह भी लिखा है कि इस प्रस्ताव में आत्म-निर्णय (Self Determination) का कोई उल्लेख नहीं था।
नेहरू और इंदिरा गांधी पर आरोप
निशिकांत दुबे का कहना है कि कांग्रेस ने कश्मीर पर गंभीर समझौता किया था। उन्होंने लिखा:
“आयरन लेडी इंदिरा जी और उनके पिताजी नेहरू जी… अमेरिका और ब्रिटेन के दबाव में भारत सरकार के मंत्री स्वर्ण सिंह और ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो की बैठकें 1962 से 1964 के बीच हुईं… भारत ने पुंछ तथा उरी पाकिस्तान को देने का फैसला कर लिया था… पूरी नीलम और किशनगंगा घाटी को भी… यही कांग्रेस का हाथ है भारत की आज की समस्या का।”
राजनीतिक हलचल
यह खुलासा ऐसे समय पर आया है जब विपक्षी दल कांग्रेस पहले से ही विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और इतिहास को लेकर हमले झेल रही है। भाजपा नेता का यह दावा आगामी चुनावी माहौल में बड़ा मुद्दा बन सकता है।