मिरर डेस्क/ जमशेदपुर : उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के अफजलगढ़ में शुक्रवार सुबह एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई। घर के बाहर खेल रही सात वर्षीय नासमीन पर आवारा कुत्तों के झुंड ने हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। स्वजन उसे तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएससी) ले गए, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद नासमीन को बचाया न जा सका। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में दहशत और आक्रोश फैला दिया है।
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार सुबह नासमीन अपने घर के बाहर खेल रही थी। तभी अचानक आवारा कुत्तों के झुंड ने उसे घेर लिया और हमला कर दिया। कुत्तों ने बच्ची को बुरी तरह नोच डाला, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। बच्ची की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग और स्वजन दौड़े, लेकिन तब तक कुत्ते उसे गंभीर चोटें पहुंचा चुके थे। स्वजन ने तुरंत नासमीन को नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। इस हादसे से परिवार में कोहराम मच गया है और गांव में डर का माहौल है।
आवारा कुत्तों का बढ़ता आतंक: यह कोई पहली घटना नहीं है जब आवारा कुत्तों ने मासूमों को अपना शिकार बनाया हो। हाल के महीनों में देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। मुरादाबाद में मार्च 2025 में सात वर्षीय अब्दुल रहमान को कुत्तों ने नोचकर मार डाला था, जब वह दुकान से सामान लेने गया था। इसी तरह, लखीमपुर खीरी में अप्रैल 2025 में सात वर्षीय सूर्याश शुक्ला को खेत से घर लौटते समय कुत्तों ने मार डाला। अलवर में जनवरी 2025 में सात वर्षीय इकराना और जालना में मई 2025 में सात वर्षीय संध्या पाटोले भी ऐसी ही घटनाओं का शिकार बनीं।
इन घटनाओं ने आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। ग्रामीणों और स्थानीय लोगों का कहना है कि आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और कई बार शिकायत के बावजूद नगर पालिका या प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
अफजलगढ़ में नासमीन की मौत के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने आवारा कुत्तों की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। पहले भी कई बार कुत्तों के हमले की शिकायतें की गईं, लेकिन न तो कुत्तों की नसबंदी का अभियान चला और न ही उन्हें पकड़ने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाया गया। अलवर में भी ग्रामीणों ने इसी तरह की शिकायतें दर्ज की थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जालना में संध्या पाटोले की मौत के बाद वहां के नगर निगम ने सैनिटरी इंस्पेक्टर को निलंबित किया और नसबंदी के लिए नया टेंडर निकालने की बात कही थी। लेकिन ऐसी कार्रवाइयां ज्यादातर घटनाओं के बाद ही होती हैं, जब कोई अनहोनी हो चुकी होती है।
ग्रामीणों में दहशत, मांगें तेज
नासमीन की मौत के बाद अफजलगढ़ के लोगों में डर का माहौल है। माता-पिता अपने बच्चों को बाहर खेलने भेजने से डर रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी के लिए तत्काल अभियान शुरू किया जाए। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस नीति बनाई जाए।
देशभर में चिंताजनक स्थिति
आवारा कुत्तों के हमले की घटनाएं केवल बिजनौर या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं हैं। मंदसौर (मध्य प्रदेश), संभल (उत्तर प्रदेश), लुधियाना (पंजाब), और बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) जैसे कई स्थानों पर हाल के महीनों में बच्चे इन हमलों का शिकार बने हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी, भोजन की कमी, और नसबंदी कार्यक्रमों की विफलता इन हमलों के प्रमुख कारण हैं।