बिहार और झारखंड से जुड़े एग्जाम पेपर लीक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बड़ा एक्शन लिया है। ईडी की टीम दोनों राज्यों के कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर सर्च ऑपरेशन चला रही है। राजधानी पटना और झारखंड के कई ठिकानों पर ईडी ने कार्रवाई की है। सूत्रों के मुताबिक, पटना में डॉक्टर शिव नाम के एक आरोपी के ठिकाने पर ईडी की टीम की तरफ से कार्रवाई की गई। वहीं, झारखंड की राजधानी रांची में सिकंदर प्रसाद यादवेंद्र के घर भी छापेमारी की गई। दोनों पर पेपर लीक गैंग से सीधे तौर पर जुड़े होने का संदेह जताया गया है।

संजीव मुखिया और उसके सहयोगियों पर कार्रवाई
बताया जा रहा है कि पेपर लीक गैंग का मास्टरमाइंड संजीव मुखिया, जो पहले से ही इस घोटाले में चर्चित है, उसके कई रिश्तेदारों के ठिकानों पर भी बिहार में सर्च ऑपरेशन चल रहा है। ईडी की यह कार्रवाई संजीव मुखिया के उस अंतरराज्यीय गैंग के विरुद्ध है, जो पिछले कई वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक कराकर छात्रों से मोटी रकम वसूलता रहा है। नीट 2024 में पेपर लीक का मामला उजागर होने के बाद से ही यह नेटवर्क जांच एजेंसियों के रडार पर था।
मनी लॉन्ड्रिंग के ऐंगल से छानबीन
सूत्रों के अनुसार छापेमारी के दौरान एजेंसी को कई डिजिटल डिवाइस, दस्तावेज और संदिग्ध लेनदेन से जुड़ी जानकारी हाथ लगी है। माना जा रहा है कि यह छानबीन मनी लॉन्ड्रिंग के ऐंगल से हो रही है। पेपर लीक के जरिए जुटाई गई काली कमाई को वैध बनाने की कोशिशों की पड़ताल अब तेज हो गई है। ईडी अब इन घटनाओं के पीछे के आर्थिक लेन-देन और हवाला नेटवर्क को खंगालने में जुटी है। माना जा रहा है कि पेपर लीक से जुड़ी इस अवैध कमाई को वैध कारोबार में बदलने के लिए कई फर्जी कंपनियों और बैंकों का सहारा लिया गया।
अब तक 150 से अधिक गिरफ्तार
यह कार्रवाई कांस्टेबल भर्ती एग्जाम के पेपर लीक मामले को लेकर की गई है। बता दें कि बिहार में पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए 2023 में एग्जाम आयोजित किया गया था। पूरे राज्य में लाखों युवा इस भर्ती प्रक्रिया की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन यह परीक्षा पेपर लीक, ब्लूटूथ गैंग और फर्जी अभ्यर्थियों के जाल में बुरी तरह फंस गई थी। ईडी के साथ-साथ इस मामले की जांच ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) की तरफ से भी की जा रही है। जांच के लिए बनाई गई एसआईटी ने अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें ब्लूटूथ से नकल कराने वाले गैंग, परीक्षा केंद्र कर्मी और फर्जी अभ्यर्थी शामिल हैं। इस मामले में 74 से अधिक एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, और जांच का दायरा लगातार बढ़ रहा है।