जमशेदपुर। धरती आबा बिरसा मुंडा के 125वें शहीद दिवस के अवसर पर रविवार को बिरसानगर संडे मार्केट स्थित उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर बिरसा सेवा दल एवं बिरसा सेवा दल स्वावलंबी सहकारिता समिति द्वारा विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग एवं समिति के सदस्य उपस्थित थे।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने बिरसा मुंडा के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके संघर्ष और बलिदान के कारण ही आज आदिवासी समाज को गौरव के साथ पहचान मिली है। उन्होंने कहा कि बिरसानगर का नामकरण भी उन्हीं की स्मृति में किया गया है, और आज यहां सभी जातियों और समुदायों के लोग एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं, जो उनके विचारों की प्रेरणा है।
कार्यक्रम में बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को रांची जिले के उलिहातु गांव में हुआ था। बचपन से ही वे अंग्रेजों की अन्यायपूर्ण नीतियों के खिलाफ संघर्षशील रहे। उन्होंने 1895 में ‘उलगुलान’ (महाविप्लव) का नेतृत्व किया, जो आदिवासी समुदाय के हक और अस्तित्व की लड़ाई थी।
इस क्रांतिकारी आंदोलन के चलते अंग्रेजों ने उन्हें धोखे से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जहां 25 वर्ष की उम्र में उनकी मौत हो गई। उनके बलिदान और साहसिक नेतृत्व को स्मरण करते हुए उन्हें ‘धरती आबा’ (धरती का पिता) की उपाधि दी गई।
हर वर्ष 9 जून को बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि युवा पीढ़ी उनके संघर्ष, विचार और बलिदान से प्रेरणा ले सके। कार्यक्रम के अंत में सामूहिक रूप से उनके विचारों को आत्मसात करने और समाज में समरसता बनाए रखने का संकल्प लिया गया।