‘आदि महोत्सव’ संपन्न, डीसी व एसएसपी समापन कार्यक्रम में हुए शामिल, शिल्पकारों, कलाकारों का बढ़ाया हौसला

Manju
By Manju
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जमशेदपुर : बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में आयोजित 14 दिवसीय ‘आदि महोत्सव-जनजातीय उद्यमिता, शिल्प, संस्कृति, व्यंजन और वाणिज्य का उत्सव’ के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला उपायुक्त मंजूनाथ भजन्त्री व विशिष्ट अतिथि वरीय पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल शामिल हुए। इस दौरान जिले के वरीय पदाधिकारियों ने अलग-अलग प्रदेशों के स्टॉल में घूम-घूमकर शिल्पकारों, कलाकारों की हौसला अफजाई की तथा उनकी कला की बारिकियों को देखा, समझा तथा उनका उत्साहवर्धन किया। साथ ही 14 दिवसीय उत्सव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले उद्यमियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

जिला उपायुक्त ने अपने संबोधन में कहा कि देश के अलग-अलग प्रांत से आए शिल्पकारों ने अपने देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रदर्शन अपने कला, हस्तशिल्प, व्यंजन के माध्यम से किया। पूर्वी सिंहभूम जिलावासियों को यह सुनहरा अवसर मिला जिसके लिए हम सभी आभारी हैं। उन्होने कहा कि कलाकृति, हैंडलूम या अन्य आर्ट सिर्फ कॉमर्स ओरिएंटेड नहीं है बल्कि हमारी परंपरा से जुड़ी हैं। सदियों से जो स्किल, कला हमारे देश में चली आ रही हैं, उसे संरक्षित कैसे करें इस दिशा में यह अच्छी पहल है। हस्तशिल्प को बढ़ावा देने में खादी बोर्ड द्वारा भी इस दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। जिला प्रशासन भी इस दिशा में प्रयासरत है कि कैसे हमारे शिल्पकारों को पहचान मिले, मार्केट मिले जिससे शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो। उन्होने कहा कि यह उत्सव देश के विभिन्न आदिवासी समुदायों की संस्कृति, उनकी जीवनशैली को जानने समझने का अवसर है। कारीगरों से मिलने, उनकी संस्कृति और परंपराओं से परिचित होने का अवसर है।

वरीय पुलिस अधीक्षक ने इस नई पहल की सराहना करते हुए कहा कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को समझ सकें, हैंडिक्राफ्ट को देख सके, खूबसूरत कलाकृतियों का अवलोकन कर सकें इस दिशा में यह आयोजन काफी सफल रहा। उन्होने बताया कि महानगरों में इस तरह के आयोजन होते रहते हैं, जमशेदपुर को यह अवसर मिलना गर्व की बात है। आदि महोत्सव के माध्यम से जनजातीय उद्यमिता, शिल्प, संस्कृति, व्यंजन, वाणिज्य और प्राचीन पारंपरिक कला की भावना का जश्न मनाया जाना गौरव की बात है।

गौरतलब है कि इस 14 दिवसीय आदि महोत्सव में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) और वन धन केंद्र लाभार्थियों सहित लगभग 336 जनजातीय कारीगर और कलाकारों ने भाग लिया। महोत्सव में 150 से ज्यादा स्टॉल लगाये गए जिसमें कला, हस्तशिल्प, प्राकृतिक उत्पाद और स्वादिष्ट व्यंजन का प्रदर्शन किया गया। 100 स्टॉल पर हस्तशिल्प, 20 पर भारतीय ट्राइबल के व्यंजन और 30 अन्य पर विभिन्न मंत्रालयों द्वारा अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया गया।

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