‘आश्छे बोछोर आबार एशो मां’ के उद्घोष के साथ नम आंखों से मां दुर्गा को दी विदाई, महिलाओं ने खूब खेला ‘सिंदूर खेला’

Manju
By Manju
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जमशेदपुर : विजयादशमी के दिन जमशेदपुर के सभी पूजा पंडालों में सिंदूर खेला की रस्म पूरी की गई। देवनगर के दुर्गा पूजा पंडाल में बड़ी संख्या में महिलाएं जुटी। महिलाओं ने मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा कर एक-दूसरे को सिंदूर लगाया। 9 दिनों तक मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना करने के बाद बुधवार विजयदशमी के दिन मां दुर्गा के प्रतिमाओं का नम आंखों से विसर्जन किया जा रहा है। सभी दुर्गा पूजा पंडालों में मां दुर्गा के विदाई के समय लोगों ने नम आंखों से मां दुर्गा को विदाई दी और “आश्छे बोशोर आबार एशो मां के उद्घोष के साथ मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया गया।

बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देने वाले विजयादशमी पर्व पर मां दुर्गा की प्रतिमा को विदा करने से पहले सिंदूर खेलने की परंपरा है और इसे सिंदूर खेला के नाम से ही जाना जाता है। सिंदूर का मतलब लाल सिंदूर होता है और खेला का अर्थ है खेलना यानी सिंदूर से खेलना। सिंदूर खेला को लेकर मान्यता है कि दशमी के दिन सिंदूर खेला करने से सुहागिनों के पतियों की उम्र लंबी होती है।

दूसरी मान्यता है यह भी है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 10 दिन के लिए अपने मायके आती हैं। जिस तरह लड़की के मायके आने पर उसकी सेवा की जाती है, उसी तरह मां दुर्गा की भी खूब सेवा की जाती है। सिंदूर खेला की रस्म केवल शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होती है। महिलाओं ने इस अनुष्ठान को पूरा किया। इस रस्म में सभी महिलाओं ने एक दूसरे के गालों पर सिंदूर लगाया। सुहागिनों ने पान के पत्तों और पूजन सामग्रियों से मां दुर्गा की पूजा अर्चना के बाद सेंदुर खेला की रस्म पूरी की।

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