ABVP राँची महानगर द्वारा माल्यार्पण कर याद किये गए महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद : जन्म जयंती पर सुनाया गया अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की उनकी लड़ाई की वीर गाथा को

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मिरर मीडिया : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् राँची महानगर अंतर्गत राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय में अखिल भारतीय विकासार्थ विद्यार्थी के तहत चलाये जा रहे 1 करोड़ पौधा रोपण के माध्यम से कॉलेज कैंपस में पौधा रोपण किया गया, साथ ही महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के जन्म जयंती के उपलक्ष्य में उनके तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनको याद किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन कॉलेज अध्यक्ष विद्यानंद राय ने किया।

वहीं वक्ता में महानगर मंत्री रोहित शेखर ने बताया कि अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की लड़ाई के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और करोड़ों युवाओं के प्रेरणस्त्रोत रहे चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर उनको नमन करता हूं। महानगर मंत्री ने बताया कि चंद्रशेखर आज़ाद  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा गांव में हुआ था। भाबरा अब ‘आजादनगर’ के रूप में जाना जाता है। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानी देवी था। 17 वर्ष की आयु में चंद्रशेखर आज़ाद क्रांतिकारी दल ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ में सम्मिलित हो गए। दल में उनका नाम ‘क्विक सिल्वर’ (पारा) तय पाया गया। पार्टी की ओर से धन एकत्र करने के लिए जितने भी कार्य हुए चंद्रशेखर उन सब में आगे रहे। सांडर्स वध, सेण्ट्रल असेम्बली में भगत सिंह द्वारा बम फेंकना, वाइसराय की ट्रेन बम से उड़ाने की चेष्टा, सबके नेता वही थे। इससे पूर्व उन्होंने प्रसिद्ध ‘काकोरी कांड’ में सक्रिय भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए।

27 फरवरी 1931 को देशभक्त चंद्रशेखर देश पर बलिदान हो गए।

वहीं वक्ता ले अगले कर्म में कॉलेज इकाई अध्यक्ष विद्यानन्द ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ। चद्रशेखर आज़ाद ने 17 दिसंबर, 1928 को चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और राजगुरु ने शाम के समय लाहौर में पुलिस अधीक्षक के दफ्तर को घेर लिया और ज्यों ही जे. पी. साण्डर्स अपने अंगरक्षक के साथ मोटर साइकिल पर बैठकर निकले तो राजगुरु ने पहली गोली दाग दी, जो साण्डर्स के माथे पर लग गई वह मोटरसाइकिल से नीचे गिर पड़ा। फिर भगत सिंह ने आगे बढ़कर 4-6 गोलियां दाग कर उसे बिल्कुल ठंडा कर दिया। जब साण्डर्स के अंगरक्षक ने उनका पीछा किया, तो चंद्रशेखर आजाद ने अपनी गोली से उसे भी समाप्त कर दिया। चद्रशेखर आज़ाद जी को 27 फरवरी, 1931 को इसी पार्क में स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर का नाम मन में आते ही अपनी मूंछों को ताव देता वह नौजवान आंखों के सामने जाता है जिसे पूरी दुनिया ‘आजाद’ के नाम से जानती है।

मौके पर प्राचार्य डॉ. जे. पी. सिंह, जीव विज्ञान की शिक्षिका- रुचिका कुमारी एवं माधुरी कुमारी, महानगर मंत्री रोहित शेखर, सह-मंत्री रितेश सिंह, कॉलेज अध्यक्ष विद्यानन्द राय, मंत्री ऑसिन वर्मा, सौरव कुमार, अभी सिंह, सचिन कुमार, ज्योत्स्ना गुप्ता, रितिक झा, आदर्श शुक्ला एवं अन्य कार्यकर्ता की उपस्थिति रही ।

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