नई दिल्ली: देशभर में अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 के विरोध और हाईकोर्ट बार काउंसिल की हड़ताल के ऐलान के बाद केंद्र सरकार ने विधेयक के मसौदे में संशोधन का निर्णय लिया है। शनिवार को केंद्र सरकार ने घोषणा की कि अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 के मसौदे में बदलाव किए जाएंगे।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं दिल्ली के सभी जिला न्यायालय बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की है। गौरतलब है कि बार एसोसिएशन ने विधेयक के विरोध में सोमवार को हड़ताल का ऐलान किया था।
विधेयक के मसौदे पर देशभर में हुआ था विरोध
केंद्रीय विधि मंत्रालय ने 13 फरवरी को सार्वजनिक परामर्श के लिए विधेयक का मसौदा पेश किया था। लेकिन इसके सार्वजनिक होने के बाद देशभर में वकीलों ने विरोध शुरू कर दिया। बार काउंसिल ने केंद्रीय कानून मंत्री को पत्र लिखकर इस पर पुनर्विचार की मांग की थी।
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सूत्रों के अनुसार, विधेयक के मसौदे में “कानून स्नातक” और “कानूनी व्यवसायी” की परिभाषाओं में बदलाव किए जाएंगे। पहले के मसौदे में “कानून स्नातक” उसे माना गया था, जिसने तीन, पांच या किसी अन्य अवधि का कानून पाठ्यक्रम पूरा किया हो।
सरकार ने कहा- जनता और हितधारकों की राय महत्वपूर्ण
कानून मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक को पारदर्शिता के तहत सार्वजनिक राय के लिए रखा गया था, जिससे सरकार की जनता और हितधारकों के प्रति प्रतिबद्धता झलकती है। लेकिन अब सरकार ने प्राप्त सुझावों और चिंताओं के आधार पर परामर्श प्रक्रिया समाप्त कर मसौदे में संशोधन करने का फैसला लिया है।
इस विधेयक को लेकर विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने वकीलों के विरोध का समर्थन किया था और कहा था कि यह विधेयक खराब तरीके से तैयार किया गया है और वकीलों की चिंताओं को दूर करने में विफल रहा है।