डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: जिले के सबसे बड़े अस्पताल एसएनएमएमसीएच का हाल दिन –प्रतिदिन बेहाल होता जा रहा है। ताजा मामला नियोनेटल इंसेटिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) का है। जहां संक्रमण के खतरे के बीच नवजातों का इलाज हो रहा है। हाल यह है कि एक ही बेबी वार्मर में चार नवजाताें को रखा जा रहा है। जिससे विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होने के कारण नवजातों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है ।
बेबी वार्मर मशीनों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव फाइलों में हुआ बंद
बता दें कि वर्तमान में एनआइसीयू में बेबी वार्मर की कुल संख्या 11 है। इसमें से दो की स्थिति खराब है। वहीं,बेबी वार्मर मशीनों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव फाइलों में दब कर रह गयी है। 2021 में इसकी संख्या बढ़ाकर 21 करने का प्रस्ताव एसएनएमएमसीएच प्रबंधन ने तैयार किया था।10 नये वार्मर मशीन की डिमांड स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग से की गयी थी। लेकिन 2021 के बाद चार बार मुख्यालय को रिमाइंडर भेजा गया।अबतक प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली। नतीजा आज भी एक वार्मर मशीन पर चार नवजातों को रखकर इलाज किया जा रहा है। जबकि, संक्रमण के खतरे के मद्देनजर एक वार्मर पर सिर्फ एक नवजात को रखने का नियम है।
10 से 15 की संख्या में हर दिन भर्ती होते हैं नवजात
दअरसल,हर दिन 10 से 15 नवजात एनआइसीयू में भर्ती होते है।अस्पताल में गंभीर स्थिति में जन्मे बच्चों के अलावा दूसरे जिलों से भी गंभीर स्थिति में नवजात एसएनएमएमसीएच पहुंचते है।एनआइसीयू में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों के अनुसार लगभग हर दिन यही स्थिति बनी रहती है।वार्मर मशीन कम और नवजात की संख्या ज्यादा होने पर कई बार तो एक में तीन-चार बच्चों को रख इलाज किया जाता है।
क्या है बेबी वार्मर मशीन
मालूम हो कि बेबी वार्मर मशीन ठंड के दिन में नवजात को गर्मी देने के अलावा जन्म के समय नहीं रोने, कम वजन वाले, सांस लेने में तकलीफ, प्री-मेच्योर आदि बच्चें के ईलाज के लिए इस्तमाल किया जाता है। यह इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो तापमान मेंटेन रखता है।
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