झारखंड की स्वास्थ्य सेवाओं को उस समय बड़ा झटका लगा जब सोमवार से राज्य की ‘डायल 108 एम्बुलेंस सेवा’ पूरी तरह ठप हो गई। झारखंड प्रदेश एम्बुलेंस कर्मचारी संघ ने अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इसका सीधा असर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में पड़ेगा, जहां लोग अस्पताल पहुंचने के लिए पूरी तरह इस सेवा पर निर्भर रहते हैं।
🔴 एम्बुलेंस सेवा ठप, मरीजों की जान पर बनी
राज्यभर की 337 एम्बुलेंस सेवाएं सोमवार से बंद हो गईं। इससे रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो समेत कई जिलों में मरीजों को निजी वाहनों से अस्पताल पहुंचना पड़ा। हड़ताल के पहले दिन ही करीब 350 कॉलों पर सेवा नहीं मिल सकी। गंभीर स्थिति यह रही कि राजधानी रांची में 20 एम्बुलेंसों ने सेवाएं पूरी तरह बंद कर दीं।
मरीजों को स्थानीय साधनों या महंगे प्राइवेट वाहनों से अस्पताल जाना पड़ा। राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) समेत कई प्रमुख अस्पतालों में मरीजों को इलाज के पहले अस्पताल पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
📢 क्या हैं एम्बुलेंस कर्मियों की मांगें?
- श्रम विभाग द्वारा तय वेतनमान दिया जाए।
- सेवातर कर्मचारियों का सेवा काल 60 वर्ष किया जाए।
- पिछली वेतन कटौती का शीघ्र भुगतान हो।
- सेवा प्रदाता कंपनी को हटाकर, भुगतान सीधे NHM (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) से किया जाए।
कर्मचारियों का आरोप है कि 26 जून को सरकार, कंपनी और कर्मचारियों के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते पर अब तक अमल नहीं हुआ। इसी के विरोध में यह हड़ताल बुलाई गई है।
🔁 सरकार पर गंभीर आरोप: भाजपा का हमला
इस मुद्दे पर झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार को जमकर घेरा। सोशल मीडिया पर जारी बयान में उन्होंने लिखा:
“समय पर वेतन का भुगतान न होने के कारण एम्बुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हुए हैं। हर जगह मरीज़ परेशान हैं, परंतु सरकार को कोई फ़र्क नहीं पड़ता।”
उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के “खाट पर मरीज लाने को सामान्य बात बताने” वाले पुराने बयान को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि—
“ऐसे ‘प्रगतिशील एवं अति संवेदनशील’ मंत्री के रहते स्वास्थ्य विभाग को भी जंग लग गया है।”
भाजपा ने सवाल उठाया है कि जब एम्बुलेंस कर्मियों की मांगे न्यायोचित और स्पष्ट हैं, तो उन्हें मानने में सरकार को क्या आपत्ति है?
🚨 स्वास्थ्य विभाग की खामोशी पर सवाल
अब तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था की इस गंभीर विफलता को गंभीरता से लेगी?
राज्य में हर दिन सैकड़ों मरीज 108 एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से अस्पताल पहुंचते हैं। यदि यह सेवा और लंबी अवधि तक ठप रहती है, तो जन-जीवन और विशेषकर गरीब मरीजों के लिए हालात और भी भयावह हो सकते हैं।