मिरर मीडिया : कोरोना की संभावित लहर के बीच अब मंकीपॉक्स के मामले चिंता बढ़ा रहें हैं। आपको बता दें कि दुनिया के कुछ देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आने के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को स्थिति पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया है।
इसके साथ ही हवाई अड्डों और बंदरगाहों के स्वास्थ्य अधिकारियों को भी सतर्क रहने का निर्देश दिया है। हवाई अड्डों को निर्देशित किया गया है कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा कर लौटे किसी भी बीमार यात्री को तुरंत आइसोलेट कर, नमूने जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की बीएसएल-4 सुविधा वाली प्रयोगशाला को भेजे जाएं। ब्रिटेन, अमेरिका, पुर्तगाल, स्पेन, बेल्जियम, फ्रांस, इटली और ऑस्ट्रेलिया में भी लोग मंकीपॉक्स से संक्रमित पाए गए हैं।
11 देशों में पहुंचा अब तक मंकीपॉक्स
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंकीपॉक्स एक वायरल इन्फेक्शन है, जो पहली बार 1958 में कैद किए गए बंदर में पाया गया था और 1970 में पहली बार इंसान में इसके संक्रमण की पुष्टि हुई थी। मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में मिलते हैं। अब तक यह बीमारी कुल 11 देशों में फैल चुकी है। मंकीपॉक्स संक्रमित मरीज के घाव से वायरस निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से या उनके खून और बॉडी फ्लुइड्स को छूने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ठीक से मांस पका कर न खाने या संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी, आप इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
क्या हैं मंकीपॉक्स बीमारी के लक्षण
मंकीपॉक्स के लक्षण, इस वायरस से संक्रमित होने के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। इसके शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, जिसमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी आना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। फिर चेहरे पर दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल जाते हैं। संक्रमण के दौरान यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं और अंत में चेचक की तरह पपड़ी बनकर गिर जाते हैं. रिसर्च में पाया गया है कि चेचक की वैक्सीन, मंकीपॉक्स में भी 85% तक कारगर होती है।