अमित शाह का झारखंड दौरा : पार्टी एकजुटता के लिए बागी नेताओं से बातचीत और कई अहम बैठकें

KK Sagar
6 Min Read

झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का मुख्य उद्देश्य इस बार पार्टी के भीतर की बगावत को शांत करना और बागी नेताओं को अपने पक्ष में लाना है। चुनावी माहौल में पार्टी को एकजुट बनाए रखने और बागियों द्वारा हो रही चुनौतियों का सामना करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने झारखंड का दौरा करने का निर्णय लिया है। शनिवार को रांची पहुंचकर वह झारखंड बीजेपी के नेताओं के साथ बैठकें करेंगे, जिनमें चुनावी तैयारियों की समीक्षा, प्रचार अभियान को मजबूत बनाने, और बागियों से निपटने की रणनीतियों पर गहन चर्चा होगी।

बागियों के प्रति अमित शाह का विशेष फोकस

अमित शाह का झारखंड दौरा खासतौर पर उन नेताओं को मनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है जो पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर आए हैं। झारखंड में करीब आधे दर्जन से अधिक नेता हैं, जिन्होंने पार्टी से असंतुष्ट होकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में खड़े होने का निर्णय लिया है। ये नेता बीजेपी के लिए एक गंभीर चुनौती बने हुए हैं, क्योंकि इनकी मौजूदगी से पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों की स्थिति कमजोर हो सकती है। अमित शाह व्यक्तिगत रूप से इन बागियों से मुलाकात करने का प्रयास करेंगे ताकि इन्हें पार्टी में लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

वरिष्ठ नेताओं के साथ रणनीतिक बैठकें

अमित शाह का यह दौरा बीजेपी के चुनावी रणनीति को मजबूत बनाने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। रांची पहुंचकर वह राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं, चुनाव प्रभारियों, और विधानसभा प्रभारियों के साथ एक विस्तृत बैठक करेंगे। इस बैठक में राज्य के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी शामिल होंगे। यह दोनों नेता पहले से ही राज्य के बागी नेताओं से संपर्क में हैं और उन्हें पार्टी की ओर आकर्षित करने के लिए कई प्रयास कर चुके हैं।

बागियों को मनाने की कोशिश: घर-घर जाकर मुलाकात

बीजेपी ने झारखंड के बागी नेताओं को मनाने के लिए अपने केंद्रीय मंत्रियों और अन्य वरिष्ठ नेताओं को उनके पास भेजा है। पार्टी के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्वा सरमा ने खुद इन नाराज नेताओं के घर जाकर मुलाकात की और उन्हें बीजेपी का समर्थन करने के लिए समझाने का प्रयास किया। इसके अलावा बीजेपी ने अन्य पड़ोसी राज्यों के नेताओं को भी इस काम में लगाया, जिन्होंने इन बागियों को मनाने का प्रयास किया और उन्हें पार्टी में उचित सम्मान देने का भरोसा दिलाया। इन प्रयासों के बावजूद कुछ नेता अब भी बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं।

अमित शाह की चुनावी सभाएं और जनता से संवाद

अमित शाह केवल बागियों को ही मनाने तक सीमित नहीं रहेंगे; वे जनता के बीच जाकर पार्टी का समर्थन जुटाने का भी काम करेंगे। रविवार को वह झारखंड के घाटशिला, बरकट्ठा और सिमरिया में विशाल रैलियों को संबोधित करेंगे। इन रैलियों में वह बीजेपी की नीतियों, विकास योजनाओं, और झारखंड में पार्टी की आगामी योजनाओं के बारे में जनता को बताएंगे। इसके अलावा, विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए वह जनता को बीजेपी के पक्ष में वोट देने की अपील करेंगे। इन रैलियों के माध्यम से अमित शाह जनता के साथ सीधा संवाद करेंगे और झारखंड के विकास के लिए बीजेपी के विजन को स्पष्ट करेंगे।

बागियों से अब तक मिली आंशिक सफलता

बीजेपी की कोशिशों से कई नाराज नेता वापस पार्टी की ओर लौट आए हैं और पार्टी का समर्थन करने का वादा किया है। अमित शाह के दौरे का एक मुख्य उद्देश्य भी इन नेताओं को पार्टी के साथ जोड़े रखना और उन्हें पार्टी के प्रति निष्ठावान बनाना है। हालांकि, अभी भी कई नेता बागी रुख अपनाए हुए हैं और पार्टी की स्थिति को चुनाव में चुनौती दे रहे हैं। अमित शाह का यह दौरा इस चुनौती का सामना करने के लिए अहम साबित हो सकता है, क्योंकि उनके अनुभव और नेतृत्व से पार्टी को एकजुट करने में मदद मिलेगी।

बागियों से चुनौती: बीजेपी के लिए गंभीर सिरदर्द

झारखंड चुनाव में पार्टी के भीतर की बगावत बीजेपी के चुनावी गणित के लिए गंभीर समस्या बन चुकी है। जिन बागियों ने पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ नामांकन दाखिल किया है, वे स्थानीय वोट बैंक पर असर डाल सकते हैं। इससे बीजेपी के उम्मीदवारों को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है और पार्टी का विजय मार्ग बाधित हो सकता है। बीजेपी की पूरी कोशिश है कि बागियों को पार्टी की ओर वापस लाकर चुनावी एकता कायम की जा सके।

Share This Article
उत्कृष्ट, निष्पक्ष, पारदर्शिता और ईमानदारी - पत्रकारिता की पहचान है k k sagar....✍️....