डिजिटल डेस्क/कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार कारण है भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) कलकत्ता के जोका कैंपस में एक छात्रा के साथ कथित दुष्कर्म की घटना। यह पिछले एक साल में कोलकाता के शैक्षणिक संस्थानों में यौन हिंसा की तीसरी बड़ी घटना है, जिसने शहर की सुरक्षा व्यवस्था और कैंपस सेफ्टी प्रोटोकॉल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पहले आरजी कर मेडिकल कॉलेज और साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में हुई यौन हिंसा की घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर दिया था।
आईआईएम कलकत्ता दुष्कर्म मामला: क्या हुआ?
पुलिस सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार 11 जुलाई की रात को आईआईएम कलकत्ता की एक छात्रा ने हरिदेवपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की कि उसे काउंसलिंग सत्र के बहाने जोका कैंपस के बॉयज हॉस्टल में बुलाया गया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि आरोपी, जो आईआईएम का ही एक द्वितीय वर्ष का छात्र है, ने उसे नशीला पदार्थ मिला हुआ पेय पदार्थ पिलाया, जिसके बाद वह बेहोश हो गई। होश में आने पर उसे यौन उत्पीड़न का अहसास हुआ। पीड़िता ने यह भी बताया कि आरोपी ने उसे चुप रहने के लिए गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
पुलिस ने शिकायत के आधार पर तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी छात्र, महावीर टोपन्नावर उर्फ परमानंद जैन, को गिरफ्तार कर लिया। शनिवार को कोलकाता की एक अदालत ने आरोपी को 19 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि पीड़िता कैंपस के बाहर रहती थी और वह आरोपी से कुछ दिनों से कार्य-संबंधी बातचीत के जरिए परिचित थी। पुलिस ने बताया कि पीड़िता का नाम विजिटर रजिस्टर में दर्ज नहीं था, जिसने कैंपस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
यह घटना कोलकाता में शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान है। आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान, जहां प्रवेश और सुरक्षा प्रोटोकॉल सख्त माने जाते हैं, वहां ऐसी घटना का होना चिंताजनक है। आरोपी के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि आईआईएम जोका एक सुरक्षित कैंपस है, जहां बिना रजिस्ट्रेशन के प्रवेश संभव नहीं है, और इस आधार पर शिकायत में ‘कुछ गड़बड़’ होने का दावा किया। हालांकि, पुलिस सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है और अन्य छात्रों से पूछताछ जारी है।
आईआईएम प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पुलिस जांच के नतीजों के आधार पर आंतरिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजुमदार ने आईआईएम निदेशक से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि कानून के अनुसार कार्रवाई होगी। यह मामला कोलकाता में हाल के महीनों में हुई अन्य दो बड़ी यौन हिंसा की घटनाओं के बाद सामने आया है। पिछले साल 8 अगस्त 2024 को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया था। इसके बाद 25 जून 2025 को साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में एक 24 वर्षीय छात्रा के साथ कथित गैंगरेप की घटना ने शहर को फिर से हिलाकर रख दिया। इस मामले में चार लोगों—मनोजीत मिश्रा, प्रोमित मुखर्जी, जैद अहमद और कॉलेज के सुरक्षाकर्मी—को गिरफ्तार किया गया था। मिश्रा पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के यूथ विंग से जुड़े होने का भी आरोप है, जिसने इस मामले को राजनीतिक रंग दे दिया।
लॉ कॉलेज मामले में कोलकाता पुलिस ने जांच तेज की थी और कलकत्ता हाई कोर्ट ने पुलिस को चार सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था। इन घटनाओं ने कोलकाता के शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है।
कोलकाता में क्या हो रहा है?
पिछले एक साल में कोलकाता के तीन प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों—आरजी कर मेडिकल कॉलेज, साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज और अब आईआईएम कलकत्ता—में यौन हिंसा की घटनाएं सामने आना शहर की कानून-व्यवस्था और कैंपस सुरक्षा पर सवाल उठाता है। सोशल मीडिया पर लोग आक्रोश जता रहे हैं और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। एक्स पर कई यूजर्स ने इन घटनाओं को “शर्मनाक” बताते हुए पश्चिम बंगाल सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है।
नागरिकों का कहना है कि बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि शैक्षणिक संस्थानों में सुरक्षा प्रोटोकॉल अपर्याप्त हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कैंपस में जागरूकता, सख्त निगरानी, और त्वरित शिकायत निवारण तंत्र की कमी इन घटनाओं को बढ़ावा दे रही है। कोलकाता पुलिस ने लॉ कॉलेज मामले के बाद शैक्षणिक संस्थानों के लिए विशेष एसओपी जारी किया था, लेकिन आईआईएम की ताजा घटना दर्शाती है कि इन उपायों का प्रभाव सीमित रहा है।
सरकार के लिए चुनौती:
पुलिस इस मामले में फॉरेंसिक साक्ष्य जुटा रही है और कैंपस की सुरक्षा व्यवस्था की गहन जांच कर रही है। इस बीच, कोलकाता में जनता और छात्र संगठनों के बीच आक्रोश बढ़ रहा है। कई लोग मांग कर रहे हैं कि शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर ठोस कदम उठाएं। यह घटना न केवल आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की छवि पर धब्बा है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कोलकाता में महिलाओं की सुरक्षा एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। सवाल यह है कि क्या इन घटनाओं के बाद प्रशासन और संस्थान कोई ऐसी नीति लागू करेंगे जो भविष्य में ऐसी वारदातों को रोक सके, या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?