जमशेदपुर : शहर में संचालित हो रहे कोचिंग सेंटरों, स्कूलों व स्कूली वाहनों में फायर सेफ्टी के साथ ही सुरक्षा के पहलुओं पर जांच व इनके संचालकों को फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य करने की मांग को लेकर जमशेदपुर अभिभावक संघ ने आज अध्यक्ष राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली, झारखंड के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व पूर्वी सिंहभूम उपायुक्त को पत्र भेजकर कोचिंग संस्थानों, स्कूलों सभी तरह के स्कूली वाहनों में फायर सेफ्टी के मापदंडों की जांच करने व उसे फायर सेफ्टी के मापदंडों के दायरे में लाने की आदेश देने की मांग की है। जमशेदपुर अभिभावक संघ के अध्यक्ष डॉ उमेश कुमार का कहना है कि जमशेदपुर शहर को झारखंड में शैक्षिक केन्द्रों में से सबसे महत्वपूर्ण केन्द्रों में से एक केन्द्र माना जाता है। इस शहर के अलग-अलग क्षेत्रों के गली मुहल्ले में कई छोटे-बड़े स्कूल, कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। संचालक न ही स्कूल खोलने से पूर्व न तो स्थानीय जिला प्रशासन या सरकार को जानकारी देते है और न ही सहमति लेते हैं। संचालक को जहां जगह मिल जाती हैं, चाहे भाड़े पर या फिर निजी रूप में वही कोचिंग सेंटर या स्कूल शुरू कर देते हैं। जबकि कोचिंग संस्थानों व स्कूल पर भवन विनियमों में संस्थानिक मापदंड लागू होते हैं। इसके अनुसार जहां भी कोचिंग सेंटर वह स्कूल संचालित हो रहा है वहां की सड़क की चौड़ाई 40 फीट होनी चाहिए। साथ ही वहां दुपहिया और कार पार्किंग भी होनी चाहिए। छात्र छात्राओं के अनुपात में अलग अलग शौचालय का होना आवश्यक है। यही जमशेदपुर शहर में चलने वाले निजी स्कूली वाहनों का है क्योंकि जमशेदपुर शहर में दो-चार स्कूलों को छोड़ किसी भी स्कूल के पास बच्चों को घर से स्कूल लाने ले जाने के लिए स्कूली वाहन (बस वो वैन) की व्यवस्था नहीं है। मजबूरन बच्चे निजी स्कूली वाहन ऑटो व वैन से स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं। इनमें से अधिकतर वाहनों की स्थिति खास्ता हालत में है। कुछ स्कूली वैन LPG गैस से संचालित होते हुए भी पूर्व में पकड़े जा चुके हैं। सही कहा जाए तो बच्चे असुरक्षित स्थिति में इन वाहनों से स्कूल आने जाने को मजबूर हैं। वहीं इन वाहनों की हमेशा जांच भी नहीं होती हैं। ऐसे में जमशेदपुर शहर में संचालित हो रहे कोचिंग सेंटर, स्कूल और स्कूली वाहनों में सुरक्षा के तहत फायर सेफ्टी के साथ ही अन्य सुरक्षा के मानकों का अनुपालन किया जा रहा है भी या नहीं इसकी जानकारी स्थानीय जिला प्रशासन व अग्निशमन विभाग को है भी या नहीं इसमें भी संदेह है। ऐसे में अगर किसी तरह का हादसा हो जाता है तो हताहतों की बड़ी संख्या होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसी क्रम में अभिभावक संघ ने कोचिंग सेंटरों, स्कूलों (सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों व प्ले स्कूल) और स्कूली वाहनों में फायर सेफ्टी के साथ ही सुरक्षा के अन्य पहलुओं की जांच करने के साथ ही इनके संचालकों को फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने का आदेश देने की मांग की है और कहा है कि जो संचालक आवेदन नहीं करें उन पर न्यायसंगत दंडात्मक कार्रवाई करने का आदेश दें।