धनबाद: जिले में ऐसा कोई इलाका नहीं है जो बिजली की समस्या से प्रभावित ना हुआ हो। कई इलाके ऐसे भी जहां अभी भी बिजली की सप्लाई लोड शेडिंग के साथ होती है।
इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि बिजली की उपलब्धतता कम है, पर दूसरी ओर हाइमास्ट लाइट या अन्य सार्वजनिक लाइट को लगातार दिन में भी जला कर बिजली की बर्बादी की जाती है। इससे जहां बिजली की बर्बादी हो रही है, वहीं आम जनता के पैसे से इसका बिल भर कर खून-पसीने की कमाई को भी फालतू जाया किया जा रहा है।
बता दें कि सार्वजनिक विद्युत उपकरणों व स्ट्रीट लाइटों के रखरखाव के लिए सरकारी कर्मी तैनात हैं। उन्हें वेतन भी इसी काम का मिलता है, पर निगरानी की कमी से वो कुछ करते नहीं और टैक्स के रूप में हमसे लिए गये पैसे की बर्बादी होती है।
मालूम हो कि गोल बिल्डिंग चौक के पास 24 घंटे हाइ मास्ट लाइट जलती रहती है। कुछ ऐसा ही हाल हटिया व अन्य चौक का है। कुछ वार्डों में तो स्ट्रीट लाइट भी 24 घंटे जलते हैं।
जानकारी के अनुसार शहर में नगर निगम का 22 हजार स्ट्रीट लाइट व 92 हाइ मास्ट लाइट लगा है।स्ट्रीट लाइट व हाइ मास्ट लाइट का मेंटेनेंस विभिन्न एजेंसियों को करना है। चुकीं करार के मुताबिक स्ट्रीट लाइट का मेंटेनेंस सात साल तक एजेंसियों को करना था, जिसका कार्यकाल छह माह पहले पूरा हो गया है। अब नगर निगम अपने स्तर से स्ट्रीट लाइट का मेंटेनेंस कर रहा है। त्योहार के पहले 22 हजार स्ट्रीट लाइट में 1500 खराब थीं।दुर्गापूजा से लेकर छठ तक लगभग एक हजार स्ट्रीट लाइट को ठीक किया गया। लेकिन अभी भी पांच सौ से अधिक स्ट्रीट लाइट बुझी हुई है और इनकी खोज खबर लेने वाला भी कोई नही है।