1960 में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते को लेकर भारतीय जनता पार्टी (तब जनसंघ) ने लगातार विरोध दर्ज कराया था। 30 नवंबर 1960 को लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी ने इस समझौते पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे राजस्थान, संयुक्त पंजाब और कश्मीर के किसानों के साथ अन्याय बताया था। बता दें कि पाकिस्तान के साथ 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को लेकर सियासत एक बार फिर गरमा गई है। गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने अपने X अकाउंट पर एक पोस्ट साझा करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को घेरा और कांग्रेस की मौजूदा भूमिका पर सवाल उठाए।
किसानों के अधिकारों पर उठाई थी आवाज
वाजपेयी ने लोकसभा में स्पष्ट कहा कि इस समझौते से भारतीय किसानों का बड़ा नुकसान होगा। उन्होंने पाकिस्तान को 83 करोड़ पाउंड (जो आज की कीमत में लगभग 18,000 करोड़ रुपये होते हैं) दिए जाने पर भी कड़ा विरोध जताया।
नेहरू का जवाब
इतिहास के पन्नों में दर्ज उस बहस के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जवाब दिया। उन्होंने कहा –
“मैं इंजीनियर नहीं हूँ और न ही तकनीकी सवालों का जवाब दे सकता हूँ। मुझे दो मिनट में अपने मालिक ब्रिटिश राजकुमार के स्वागत के लिए जाना है, लोकसभा के लिए मेरे पास समय नहीं है।”
भाजपा का आरोप – कांग्रेस का यही है संविधान
भाजपा नेताओं का कहना है कि जिस तरह नेहरू ने किसानों और संसद की आवाज को दबाया था, वही परंपरा आज भी कांग्रेस नेतृत्व निभा रहा है। पार्टी का आरोप है कि राहुल गांधी का संविधान भी वही है जिसमें किसानों और जनता की अपेक्षाओं की अनदेखी होती है और विदेशी मेहमानों की खातिर भारतीय हितों से समझौता किया जाता है।