Jharkhand में नियुक्त 28 चयनित अभ्यर्थियों में 17 बाहरी होने पर बाबूलाल ने फिर उठाया स्थानीय का मुद्दा : JMM ने कहा झारखण्ड की माँग 1932 खतियान

KK Sagar
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Jharkhand में नगर विकास विभाग में सहायक नगर निवेशक पद पर हुए नियुक्ति को लेकर विपक्ष ने हेमंत सरकार को स्थानीय और बाहरी के मुद्दे पर फिर घेरा है। इस बाबत चयनित 28 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र में 28 चयनित अभ्यर्थियों में 17 बाहरी की नियुक्ति को लेकर बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि किस नियोजन नीति के तहत 60% से अधिक पदों पर बाहरीलोगों की नियुक्ति की गई है?

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया के माध्यम से चयनित सूची को साझा करते हुए लिखा है कि इस सूची को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि हेमंत सोरेन जी के कथनी और करनी मे कोई तालमेल नहीं है। हेमंत के द्वारा स्थानीयता का नारा सिर्फ झारखंड के बेरोजगार युवाओं को भ्रमित कर वोट लूटने के इरादे से दिया गया है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कल नगर विकास विभाग में सहायक नगर निवेशक पद पर चयनित 28 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र सौंपी है। इन 28 चयनित अभ्यर्थियों में 17 बाहरी हैं।

हेमंत जी, जरा झारखंड के युवाओं को बताने का कष्ट करें कि :

– किस नियोजन नीति के तहत 60% से अधिक पदों पर बाहरी लोगों की नियुक्ति की गई है?
– इस परीक्षा में झारखंड के छात्रों को कितना आरक्षण दिया गया?
– क्या दिल्ली-मुंबई के ठेकेदारों की तरह अब झारखंडी युवाओं के नौकरियों पर भी बाहरी लोगों का ही क़ब्ज़ा होगा?
– झारखंड के युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी है क्या, जो अधिकाधिक संख्या बाहरी लोगों को नियुक्त किया गया?

हेमंत सोरेन पिछले चुनाव के समय सरकारी नौकरियों में झारखंड के युवाओं को 100% आरक्षण देने की बात करते थे, लेकिन उन्होंने एक बार फिर से झारखंड के युवा साथियों की पीठ में खंजर घोंपने का काम किया है।

इस बार झारखंड के आदिवासी और बेरोजगार युवा हेमंत के झांसे में आने वाले नहीं हैं। बेरोजगार युवा सब कुछ देख रहे हैं!

वहीं JMM के एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म से इस सूची में चयनित अभ्यर्थी के लिए झारखंड का ना होने का ठीकरा बीजेपी पर फोडा है। जबकि 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता बिल को रोक कर रखें जाने का आरोप लगा दिया है।

हेमंत सरकार द्वारा ये नौकरियों की नियुक्ति सूची सच में एक सुखद अनुभव करवाती है!

परंतु कसक सिर्फ़ इस बात की है कि अगर राजभवन 1932 खतियान आधारित स्थानीयता को रोक कर नहीं रखा होता तो आज ये सारे अभियार्थी के गृह ज़िला के कॉलम में “झारखण्ड” लिखा होता!

1932 को बहुमत के साथ हेमंत सोरेन ने सदन से पारित कराया था परंतु बीजेपी और राजभवन के कारण आज भी ये अटका हुआ है!

नियुक्ति का कारवाँ रुक नहीं सकता लेकिन झारखण्ड वासियों के हक़ से कब तक खेलती रहेगी BJP

झारखण्ड की माँग 1932 खतियान!

नियुक्तियों पर रोक लगाना युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा पर झारखण्ड के हक़ से क्यों खेल रही बीजेपी?

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